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कैराना व नूरपुर में हार के सदमे से निकल नहीं पा रही भाजपा और संघ, देर रात तक चला बैठकों का दौर

कैराना और नूरपुर में पराजय के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा ने डैमेज कंट्रोल का खाका खींचना शुरू कर दिया है। जल्द ही इसके नतीजे सामने आएंगे। महागठबंधन बनाकर विपक्ष के मुकाबले में उतरने की संभावनाओं के मद्देनजर भगवा टोली के रणनीतिकारों ने वोटों का गणित दुरुस्त रखने पर भी चिंतन-मंथन किया।

इसके अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोनयन व समायोजन का काम भी अब तेजी से आगे बढ़ने के संकेत हैं। कुछ प्रमुख लोगों पर हार की गाज गिर सकती है। संगठन के कुछ नेताओं व मंत्रियों के कदों में कांट-छांट हो सकती है। संगठनात्मक पुनर्गठन का काम भी जल्द ही पूरा होने के संकेत हैं। इसका पूरा खाका शनिवार को यहां संगठन, सरकार और संघ के प्रमुख लोगों की बैठक में खींचा गया।

उपचुनाव की हार के झटके से भाजपा और संघ उबर नहीं पा रहा है। शनिवार शाम प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय के दिल्ली से लौटने के बाद शुरू हुआ बैठकों का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। कैराना और नूरपुर के नतीजों के बाद डॉ. पांडेय राष्ट्रीय नेतृत्व के बुलावे पर दिल्ली गए थे।

राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद लौटे पांडेय ने प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल के साथ पार्टी मुख्यालय पर विचार-विमर्श किया। इसमें कुछ देर के लिए उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा भी शामिल हुए।

सभी को दिया दिल्ली का संदेश

बताया जाता है कि पांडेय ने दिल्ली का संदेश सभी को दिया। बाद में ये सभी नेता मुख्यमंत्री आवास गए और वहां बैठक हुई। मुख्यमंत्री आवास पर विचार-विमर्श में संघ के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र के प्रचारक क्रमश: अनिल और आलोक भी शामिल रहे।

इस समय संघ के प्रशिक्षण वर्ग चल रहे हैं। पर, प्रशिक्षण वर्गों की व्यस्तता के बीच दोनों क्षेत्र प्रचारकों का लखनऊ आना ही इस बैठक का महत्व बताता है। पांडेय के दिल्ली से लौटने से पहले भी बंसल मुख्यमंत्री आवास जाकर योगी से मिले।

मनोनयन से लेकर मंत्रिमंडल में फेरबदल तक की चर्चा
सूत्रों के अनुसार, पराजय के बाद पार्टी हार की विस्तृत रिपोर्ट बना रही है। चुनाव नतीजों वाले दिन हाईकमान ने प्रदेश नेतृत्व को इस सिलसिले में निर्देश दिए थे। रिपोर्ट के बाद प्रदेश में पार्टी से जुड़े कुछ प्रमुख लोगों के पर कतरे जा सकते हैं।

मंत्रिमंडल में फेरबदल होने की भी चर्चा है। बताया जाता है कि इस फेरबदल में उन मंत्रियों का कद छांटा जा सकता है जिन पर पश्चिम में भाजपा की कश्ती को पार लगाने की जिम्मेदारी थी।

समीकरण फेल होने से परेशान हुआ संघ

दरअसल, संघ की चिंता यह है कि जिस पलायन के मुद्दे पर एक वर्ष पहले ही पश्चिमी उप्र में उसे एकजुट हिंदुओं का वोट मिला था, उसी कैराना में वह समीकरण क्यों नहीं बन पाया। पश्चिमी उप्र से ठाकुर, दलित और वैश्य बिरादरी के लोगों को राज्यसभा और गुर्जर के रूप में एक पिछड़े को विधान परिषद भेजने तथा बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में लेने के बावजूद सारे समीकरण फेल कैसे हो गए?