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उत्‍तराखंड चुनाव: रंग लाएगा उत्तराखंड में मत प्रतिशत में यह उछाल !

16_02_2017-uttarakhandelectionnewदेहरादून : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत में लगातार बढ़ोतरी का सिलसिला इस चुनाव में भी जारी रहा। इस बार मतदाताओं ने रेकार्ड 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान में हिस्सा लिया। पिछले विधानसभा चुनाव 2012 की अपेक्षा यह लगभग तीन प्रतिशत अधिक है, जबकि वर्ष 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में राज्य में केवल 54.21 प्रतिशत ही मतदान हुआ था। मतदान में आए इस उछाल को लेकर राजनैतिक विश्लेषक अलग-अलग अनुमान लगा रहे हैं, तो सियासी पार्टियां भी इसे अपनी सुविधा के मुताबिक परिभाषित कर रही हैं।

मोदी मैजिक की आस लगाए बैठे भाजपा नेताओं के चेहरे मतदाताओं के खासी तादाद में उमडऩे से खिल गए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में महज एक सीट और 0.66 प्रतिशत मतों के अंतर के कारण सत्ता से चूकी भाजपा को लग रहा है कि अगर रेकार्ड संख्या में मतदाता पोलिंग बूथ तक पहुंचे हैं तो यह रुझान बदलाव का संकेत है। अब भाजपा का यह भरोसा किस हद तक कायम रहता है और जनता का फैसला किसके हक में आता है, यह तो आगामी 11 मार्च को ही पता चलेगा।

अलबत्ता इतना जरूर है कि भाजपा अब यह मानकर बैठी है कि मोदी मैजिक के साथ ही पार्टी को एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का भी लाभ मिला है। यही वजह रही कि बुधवार सुबह खिली हुई धूप के साथ पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की भीड़ देखकर जिस दल के चेहरे खिले, वह भाजपा ही है। दरअसल, पार्टी को इस चुनाव में इन दो ही कसौटी पर मतदाताओं के समर्थन की उम्मीद थी और भाजपा के रणनीतिकारों को लगता है कि इन्हीं दो पैमानों पर राज्य में कांग्रेस के खिलाफ मतदान भी हुआ है।

पिछली बार महज एक सीट के अंतर से भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब रही कांग्रेस के भी रेकार्ड मतदान को लेकर अपने दावे हैं। पार्टी को पूरा भरोसा है कि जनादेश एक बार फिर उसी के पक्ष में आएगा। हालांकि फिलहाल सत्ता पर काबिज कांग्रेस अपनी जीत के दावे तो पहले भी करती रही मगर इसे केवल रणनीति का हिस्सा ही माना गया। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार इसे केंद्र के खिलाफ एंटी इनकंबेसी के रूप में देख रहे हैं। उन्हें लगता है कि नोटबंदी और महंगाई जैसे मुद्दों पर अपना गुस्सा जताने मतदाता इतनी बड़ी संख्या में वोट डालने आए।

इसके अलावा पार्टी में टूट और दलबदल को लेकर कांग्रेस को लगता है कि उसके कैडर वोटर ज्यादा संख्या में घरों से निकले हैं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि जिस तरह मतदाता पोलिंग बूथ पर धैर्य के साथ अपनी बारी की प्रतीक्षा करते दिखे, उसमें उनका केंद्र सरकार की नीतियों और फैसलों के खिलाफ गुस्सा झलका। कहीं न कहीं पार्टी को मुख्यमंत्री हरीश रावत, जिनके इर्द-गिर्द कांग्रेस का पूरा चुनाव केंद्रित रहा, के प्रति सहानुभूति लहर की उम्मीद भी है।

वैसे भी, राज्य के चार विधानसभा चुनाव में पहला मौका है जब जनता ने इस कदर बढ़-चढ़कर अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में 54.21 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद वर्ष 2007 के दूसरे विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा 63.72 तक जा पहुंचा। वर्ष 2012 के तीसरे विधानसभा चुनाव में इससे भी अधिक 67.22 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।

इस बार राज्य में कुल मतदान प्रतिशत का आंकड़ा जा पहुंचा 70 प्रतिशत तक। महत्वपूर्ण बात यह भी कि ज्यादा मतदान प्रतिशत हमेशा सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ ही गया है। मतलब, प्रत्येक विधानसभा चुनाव में पहले से ज्यादा मतदान और सत्ता परिवर्तन। अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि क्या यह रवायत अब भी कायम रहेगी या फिर नया इतिहास रचा जाएगा।

चुनाव दर चुनाव बढ़ता मतदान प्रतिशत

2002——–54.21 प्रतिशत

2007——63.72 प्रतिशत

2012—— 67.22 प्रतिशत

2017—— 70.00 प्रतिशत (लगभग)

 

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