नई दिल्ली: नोट बंदी के बाद दिसंबर में पहली सैलरी आने वाली है। कैश की कमी का सामना कर रहे लोगों को इस सैलरी का बेसब्री से इंतजार है, लेकिन नोट बंदी के बाद कई सेक्टर्स में काम कर रहे कर्मचारियों को सैलरी मिलने में परेशानी हो सकती है।
सबसे अधिक परेशानी स्मॉल एंड मीडियम कैटेगिरी की कंपनियों के साथ-साथ अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों को आ सकती है। यहां तक कि बड़ी-बड़ी कंपनियों में भी सैलरी के एक पार्ट को लेकर दिक्कत हो सकती है।
बड़ी इंडस्ट्री में होगा क्या
एमएसएमई सेक्टर में कैसे मिलेगी सैलरी
कैसे मिलेगी कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे लोगों को सैलरी
चाहे सरकारी डिपार्टमेंट हो, कॉरपोरेट कंपनी हो या छोटी कंपनी, पिछले कुछ सालों से आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम कराने का चलन बढ़ा है। खासकर हाउस कीपिंग और सिक्योरिटी का काम तो लगभग हर कंपनी ने आउटसोर्स किया हुआ है। हर कंपनी में कई-कई कॉन्ट्रैक्टर्स काम कर रहे हैं और कॉन्ट्रैक्टर्स अपने वर्कर्स को अब तक कैश से सैलरी देते रहे हैं। ये कॉन्ट्रैक्टर्स मिनिमम वेजेज के नियम की पालना नहीं करते हैं और वर्कर्स को मिनिमम वेजेस तक नहीं देते हैं, इसलिए कैश में पेमेंट की जाती है। कॉन्ट्रैक्टर्स के लिए दिसंबर माह की सैलरी देना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
ऐसे में, कॉन्ट्रैक्टर्स जितना हो सके, उतने कैश का इंतजाम कर रहे हैं। इसके अलावा रोल (रजिस्टर्ड) पर तैनात कर्मचारियों की सैलरी तो अकाउंट में ट्रांसफर की जाएगा, शेष कर्मचारियों की सैलरी कैश में थोड़ी-थोड़ी दी जाएगी। इतना ही नहीं, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में ज्यादातर कॉन्ट्रैक्ट लेबर से काम कराया जाता है, जिसके लिए भी कॉन्ट्रैक्टर्स ने लेबर को अकाउंट खोलने के निर्देश जारी कर दिए हैं, जबकि कई लेबर की छंटनी कर दी गई है।