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एक किक से बर्बाद हो गया वुशू खिलाड़ी का करियर

 

 

नई दिल्ली। इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में महज एक किक ने राज्य स्तर की एक उभरती हुई वुशू (किक बॉक्सिंग) खिलाड़ी का करियर बर्बाद कर दिया। अपनी उम्र से बड़े खिलाड़ी से हुई फाइट के दौरान आरोपित ने बदला लेने की नियत से 17 साल की खिलाड़ी के पेट में ऐसी लात मारी कि वह गिरते ही बेहोश हो गई। कई दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद डॉक्टरों ने उसे बताया कि वह कभी इस खेल को दोबारा नहीं खेल पाएगी। परिवार ने मामले की शिकायत आईपी इस्टेट थाने में की, लेकिन पुलिस ने केस दर्ज करने के बजाय परिवार को बस धक्के ही खिलाए। परेशान पिता वरिष्ठ अधिकारियों के पास पहुंचे तब कहीं जाकर सात सितंबर को आरोपित खिलाड़ी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। आईपी इस्टेट थाना पुलिस घटना की जांच कर रही है।

पुलिस के अनुसार पीड़िता हनी परिवार के साथ दरियागंज इलाके में रहती है। वह केंद्रीय विद्यालय में 12वीं की छात्रा है। हनी वुशू खिलाड़ी है और अपने अभ्यास के लिए वह आईजीआई स्टेडियम आती है। इसके पिता जय प्रकाश का ट्रांसपोर्ट का कारोबार है। हनी ने पिछले साल राज्य स्तर की एक प्रतियोगिता में कांस्य पदक भी जीता था।

हनी के मुताबिक दो जनवरी को वह अभ्यास के लिए आईजीआई स्टेडियम आई थी। यहां उसकी फाइट कोच ने उसकी उम्र से ज्यादा के युवक सौरभ से करा दी। सौरभ और हनी के बीच इससे पहले किसी बात पर तू-तू मैं-मैं हो चुकी थी। हनी का आरोप है कि उसी का बदला लेने के लिए आरोपित ने उसके पेट में जान-बूझकर लात मारी। यह सब खेल के नियमों में नहीं था।

चोट लगते ही हनी बेहोश हो गई। उसे एलएनजेपी अस्पताल ले जाया गया, जहां 11 जनवरी को उसे छुट्टी दे दी गई पर डॉक्टरों ने हनी को बताया कि अब वह कभी वुशू नहीं खेल पाएगी। अगर उसने ऐसा करने का प्रयास किया तो उसके शरीर को नुकसान हो सकता है। डॉक्टरों ने उसे बस बैडमिंटन खेलने के लिए कहा है। हनी के परिजन पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से मिले। अब मामले की छानबीन करने की बात की जा रही है।

भाई से हुआ था सौरभ का झगड़ा

पीड़िता ने पुलिस को बताया कि घटना से पूर्व अभ्यास के दौरान आरोपित सौरभ का उसके भाई आशीष से त्यागराज स्टेडियम में झगड़ा हुआ था। हनी ने बीच-बचाव किया था। इस पर सौरभ खासा नाराज था। उसने हनी और उसके भाई को देख लेने की धमकी दी थी, लेकिन हनी ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। चोट लगने के बाद उसे अहसास हुआ कि उसे जान-बूझकर मारा गया है। दूसरी परेशानी यह हुई कि पहले पुलिस ने भी हनी का साथ नहीं दिया। इस मामले की शिकायत करने पर उसके परिवार को पूरे नौ माह थाने से टरकाया जाता रहा।

थाना-पुलिस के लगाए 40-50 चक्कर

हनी के पिता जय प्रकाश ने बताया कि बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए उन्होंने आईपी इस्टेट थाने के 40 से 50 चक्कर लगाए। तब भी सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया। वे भी गुमराह करते रहे।

जय प्रकाश का कहना है कि कोर्ट में मामला पहुंचने पर जज साहब के सामने जरूर पूछेंगे कि पुलिस को इस संबंध में मामला दर्ज करने में इतना समय कैसे लगा। जबकि पुलिस अधिकारी इस मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।