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गठिया बढ़ा रहा दिल और मधुमेह के मरीज : डॉ. आनंद

(विश्व अर्थराइटिस दिवस पर विशेष)

लखनऊ। आम धारणा यही है कि गठिया से जोड़ों में दर्द और शरीर में अकड़न रहती है, जिससे चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। लेकिन शायद कुछ ही लोग जानते होंगे कि गठिया बने रहने से शरीर में रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियां और घातक हो जाती हैं। यह कहना है अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. आनंद स्वरूप का। गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के प्रिन्सिपल रह चुके डॉ. आनंद पिछले 25 वर्षों से घुटना रक्षित तकनीक पर कार्य कर रहे हैं। 
डॉ. आनंद ने शुक्रवार को खास बातचीत में बताया कि शरीर में गठिया पैदा न हो इसके नियमित व्यायाम करना और संतुलित भोजन लेना चाहिए। क्योंकि शरीर में गठिया एक बार विकसित हो जाता है तो इससे कई और तरह की बीमारियां पैदा हो जाती हैं। गठिया से पहले तो जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है फिर यह अपने विकराल रूप में आते-आते उठने-बैठने और चलने-फिरने में परेशानी पैदा करने लगता है। इससे शरीर का वजन बढ़ने लगता है। मोटापे से जहां हाइपरटेंशन, हार्ट फेलियर, अस्थमा, कोलेस्ट्राल, बांझपन समेत 53 तरह की बीमारियां पैदा हो जाती हैं, वहीं शरीर में गठिया के बने रहने से रक्तचाप और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज और मुश्किल हो जाता है।

क्यों होता है गठिया 

गठिया को अर्थराइटिस या संधिवात कहते हैं।। गठिया रोग मूलतः प्यूरिन नामक प्रोटीन के मेटाबोलिज्म की विकृति से होता है। खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। व्यक्ति जब कुछ देर के लिए बैठता या फिर सोता है तो यही यूरिक एसिड जोड़ों में इकठ्ठा हो जाते है। जो कि अचानक चलने या उठने में तकलीफ देते हैं। शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाने पर यह गठिया का रूप ले लेता है। ध्यान न देने पर घुटना, कूल्हा आदि इंप्लांट करने की भी नौबत आ जाती है। हालांकि  घुटना रक्षित तकनीक से लम्बे समय तक घुटने के दर्द से बचा जा सकता है। घुटना अधिक खराब होने पर घुटना रक्षित शल्य (नी प्रिजरवेटिव सर्जरी) के जरिए 10 से 15 वर्ष के लिए घुटना प्रत्यारोपण से बचा जा सकता है।

गठिया होने पर क्या करें 

यदि आपके जोड़ों में जरा सा भी दर्द, शरीर में हल्की अकड़न है तो भी सबसे पहले किसी डॉक्टर को दिखाएं। कोशिश करें दिनचर्या नियमित रहे। डॉक्टर की सलाह पर व्यायाम नियमित व्यायाम करें।
गौरतलब है कि विश्व गठिया दिवस प्रतिवर्ष 12 अक्टूबर को विश्व भर में मनुष्य में गठिया रोग से संबंधित भिन्न-भिन्न विषयों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाया जाता है। यह हमें जागरूक बनाता है कि जोड़ों के दर्द से निपटने का किस प्रकार प्रबंध किया जाए, ताकि हम दर्दरहित जीवन जी सकें। विश्व गठिया दिवस की स्थापना एआरआई अर्थराइटिस और रूमेटिज़म इंटरनेशनल (एआरआई) ने वर्ष 1996 में की थी।