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पट्टाधारक की मौत पर पत्नी पट्टा जारी रखने की उत्तराधिकारी : हाईकोर्ट

 

प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि मत्स्य पालन पट्टाधारक की मौत पर पत्नी को पट्टा जारी रखने का उत्तराधिकार प्राप्त है। इस आधार पर पत्नी को मिले पट्टे को चुनौती नहीं दी जा सकती कि वह भूमि प्रबन्धक समिति की सदस्य है।

राजस्व संहिता के तहत भूमि प्रबन्धक समिति का कोई भी सदस्य किसी भी पट्टे में हितबद्ध नहीं हो सकता। यह नियम उत्तराधिकार में मिले पट्टे पर लागू नहीं होगा। क्योंकि यह कानून के तहत मिला अधिकार है। मौत पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है।

अदालत ने आजमगढ़ के सगरी तहसील के जोकहरा गांव में पट्टा धारक की विधवा को एसडीएम द्वारा दिए गए पट्टे को वैध करार दिया है और इसके खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने शीतल की याचिका पर दिया है।

गांव सभा की तरफ से अधिवक्ता रमेश चंद्र उपाध्याय ने प्रतिवाद किया। गांव के निवासी पूरेन्द्र उर्फ पुराई को 11 दिसम्बर 2013 को 10 साल के लिए तालाब में मत्स्य पालन का पट्टा मिला। 25 अप्रैल 2018 को उसकी मौत हो गयी। पत्नी ने पट्टा देने की अर्जी दी। एसडीएम ने 13 अगस्त 2023 तक पट्टा जारी रखने का उसके पक्ष में आदेश दिया। इस आदेश को चुनौती दी गयी। जिसे कोर्ट ने बलहीन मानते हुए खारिज कर दी।