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2 अक्टूबर से उत्तराखंड में होगी इस खास योजना की शुरुआत, तीन वर्गों में बाटें जाएंगे राज्य के गांव

उत्तराखंड के दुर्गम स्कूलों में कोई भी अध्यापक पढ़ाने को तैयार नहीं हैं। लिहाज़ा किसी तरह सुगम में ही जमे रहे इसके लिए देहरादून में नेताओं की परिक्रमा करते रहते हैं। दुर्गम पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की बात करें तो इसका बुरा हाल भी किसी से छिपा नहीं है। डॉक्टर्स भी किसी तरह से पहाड़ चढ़ने से जी चुराते हैं। आये दिन आप ऐसी खबर भी सुनते देखते हैं कि डॉक्टर और सुविधाओं के अभाव में गर्भवती महिलाओं और दुर्घटना में घायल लोगों को आपातकाल में उपचार मिलना बेहद मुश्किल हो जाता है।

रही बात पलायन की तो रोजगार के मौक़े न होने की वजह से पहाड़ का नौजवान मैदानी ज़िलों में काम ढूंढने को मजबूर है। केंद्र हो या राज्य सरकार, गाँव के विकास की बड़ी बड़ी योजनाएं बनाती तो ज़रूर हैं लेकिन हक़ीक़त में इन योजनाओं का कितना लाभ लोगों को मिल रहा है ये जगजाहिर है।

2 अक्टूबर से एक बार फिर उत्तराखण्ड के गांव एक बार फिर चर्चा में आएंगे जब केंद्र सरकार के बेहद खास प्रोग्राम ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम जीडीपीडी के तहत पहाड़ों में बसे छोटे बड़े हज़ारों गांवों में सर्वे का काम शुरू होगा जिसमें इस बात का पता लगाया जाएगा कि उन गाँव में रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में ज़रूरी कितनी सुविधाएं उन लोगों तक पहुंची हैं। इस बात पर भी सरकार की जांच टीम खास फोकस करेगी कि पहाड़ के ग्रामीणों की ज़िंदगी बेहतर बनाने के लिए किस तरह की योजनाओं की ज़रूरत है ।

इस सर्वे में जो मुख्य बिंदु सामने आएंगे उसी आधार पर गांवों को तीन वर्गों में बांटा जाएगा। जिसके बाद सर्वे के मुताबिक प्रार्थमिकताओं के आधार पर ग्राम पंचायतें अपनी-अपनी योजनाएं तैयार करेंगी। पूरे देश में 2 अक्टूबर से ये महत्वकांक्षी योजना शुरू होगी। उत्तराखंड में भी इस योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर से होनी है। हरिद्वार जिले में ये कार्यक्रम दो अक्टूबर से चलेगा, जबकि बाकी 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने के बाद योजना शुरू की जाएगी।

इन बातों को ध्यान में रख होगा उत्तराखंड के गांव का सर्वे

जीपीडीपी में सर्वे टीम का सबसे ज्यादा फोकस गांव में बिजली-पानी, सड़क, स्कूल की सुविधा पर होगी साथ ही दूर दराज चलने वाली आंगनबाड़ी की क्या सुरतेहाल है महिलाओं और बच्चों के लिए बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा है या नहीं लोहों को इलाज के लिए कितनी दूरी तय करनी पड़ती है टीकाकरण के कैम्प लगाए जाते हैं या महज खानापूर्ति की जा रही है। कुछ इन्ही खास 29 बिंदु पर सरकार सर्वे रिपोर्ट पर योजना तैयार करेगी। योजनाएं महज फाइलों तक न सीमित रहे इसके लिए बाकायदा ग्राम पंचायत की बैठक में इसकी पुष्टि होगी और फिर जीडीपीडी के ऐप में इसे अपलोड कर दिया जाएगा। इस सर्वे के आधार पर गांव के विकास के लिए प्राथमिकता तय कर ग्राम पंचायत योजनाएं बनाएगी।

सर्वे के आधार पर गांवों को तीन वर्गों में बांटा जाएगा- रेड, यलो और ग्रीन। इनमें ग्रीन यानी कंफर्ट जोन , रेड यानी जहां योजनाओं पर तेजी से काम करने की जरूरत है और यलो जहां कुछ और करने की गुजाइश है। अब देखना होगा कि पलायन रोजगार शिक्षक डॉक्टर ट्रांसपोर्टेशन जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करने वाले पहाड़ी गांव को कितना फायदा मिलेगा।