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यूपी सरकार के जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक के इस्तीफे का लेटर सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

सियासत में भूचाल सा आ गया। सत्ता और विपक्ष तक के नेताओं ने तरह-तरह की प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दीं। हालांकि ये इस्तीफा एक दम से नहीं दिया गया। दिनेश खटीक ने इस्तीफे का मन पहले से ही बना लिया था। मामला गंगानगर थाने में एक मुकदमे से शुरू हुआ था। नौ जून की रात एक मुकदमा दर्ज न होने पर उन्होंने इस्तीफे की चेतावनी दी थी। अब 19 जुलाई को विभाग में उपेक्षा और भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर राज्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया। पूरे मामले की शुरूआत 4 जून को हुई थी। उनके एक करीबी टेंट कारोबारी कोमल की दो पुलिसकर्मियों से कहासुनी हो गई थी। कोमल की तहरीर पर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो 9 जून को राज्यमंत्री ने गंगानगर थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज करने को कहा। इंस्पेक्टर ने साफ मना कर दिया। मंत्री ने विरोध में धरना दिया और इस्तीफे की धमकी दे डाली। मामला तत्कालीन एसएसपी प्रभाकर चौधरी तक पहुंचा लेकिन बात नहीं बनी।

अगले दिन 10 जून को इस्तीफे की घोषणा के लिए उन्होंने सर्किट हाउस में मीडिया को बुलाया। भनक लगते ही भाजपा जिलाध्यक्ष विमल शर्मा पहुंच गए। कहा जाता है मान मनौव्वल के बाद इस्तीफे की घोषणा टल गई। काफी हंगामे के बाद पुलिस ने रिपोर्ट तो दर्ज कर ली लेकिन क्रास रिपोर्ट यानी दोनों पक्षों की तरफ से मामला दर्ज किया। यहां भी मंत्री की किरकिरी हुई। गृहमंत्री अमित शाह के नाम इस्तीफा वायरल होने से पहले राजधानी लखनऊ से जलशक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक मंगलवार देर रात ही मेरठ पहुंच गए, लेकिन वह बिना प्रोटोकॉल के पहुंचे। किसी को इसकी भनक तक नहीं लगने दी। रात्रि विश्राम के बाद वह सुबह चुपचाप गंगानगर आवास से निकल गए। बुधवार सुबह से ही जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक चर्चाओं में रहे। सुबह मवाना-हस्तिनापुर के लोग मंत्री से मिले। उसके बाद जब मीडिया का जमावड़ा होने लगा तो वह गाड़ी में बैठकर निकल गए। मीडिया से बातचीत में यही बात दोहराई -सब ठीक है। कोई विशेष बात नहीं है। जब इस्तीफे का पत्र वायरल हुआ तो मीडिया मंत्री को खोजने में जुट गई। पता ही नहीं चला कि वह कहां गए। दोपहर में उनके दिल्ली पहुंचने की सूचना रही। गंगानगर स्थित आवास से निकलने के बाद भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक से संपर्क किया। उन्हें बागपत रोड स्थित क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचने को कहा गया। वह क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे। वहां बंद कमरे में भाजपा के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों से वार्ता हुई। मीडिया से बचने की सलाह दी गई।