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13 जनवरी यानी कल है तिलकुटा चौथ (सकट चौथ), जानिए शुभ महूर्त और इस व्रत के महत्व

इस वर्ष श्री गणेश तिलकुटा चौथ यानी संकष्टी चतुर्थी तिथि का आरंभ 13 जनवरी की शाम 5 बजकर 32 मिनट से होगा और इसकी समाप्ति 14 जनवरी 2020 को दोपहर 2 बज कर 49 मिनट पर होगी। इस दिन चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 33 मिनट है।

महत्व

जो व्यक्ति नियमित रूप से चतुर्थी का व्रत नहीं कर सकते, वो यदि माघी चतुर्थी का व्रत कर लें, तो ही साल भर की चतुर्थी व्रत का फल प्राप्त हो जाता है। माघी तिल (तिल चौथ) चतुर्थी पर गणेश मंदिरों में भक्तों का तांता लगता है। इस दिन से दिन तिल भर बड़े हो जाते हैं।

क्या करें

माघी चौथ के अवसर पर व्रतधारी को चंद्रदर्शन और गणेश पूजा के बाद व्रत समाप्त करना चाहिए। इसके अलावा पूजा के समय भगवान गणेश के 12 नामों का जाप करें। सुबह श्री गणेश को तिल के लड्डू बनाकर भोग लगाएं।

पूजा के साथ अथर्वशीर्ष का पाठ करें

चांदी के श्रीगणेश का अभिषेक करें। अगर चांदी के नहीं है तो पीतल, तांबे, या मिट्टी के गणेश भी पूज सकते हैं। अगर वह भी नहीं तो तस्वीर से काम चलाएं।

गणेश चालीसा का सस्वर पाठ करें

  • गणेश प्रतिमा को हल्दी, दुर्वा, फूल, चंदन, तिल और गुड़ का भोग लगाएं।
  • दिन में अथवा गोधूली बेला में गणेश दर्शन अवश्य करें। इस दिन से प्रतिदिन गणेश नामावली का वाचन किया जाए तो सहस्र प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
  • रात्रि में तिल के लड्डू का भोग चंद्रमा को भी लगाएं और इसी लड्डू से व्रत खोलें।
  • माघ मास की श्री गणेश तिलकुटा चौथ की कथा करें।

व्रत कथा

सतयुग में राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था। एक बार तमाम कोशिशों के बावजूद जब उसके बर्तन कच्चे रह जा रहे थे तो उसने यह बात एक पुजारी को बताई।

पुजारी ने बताया कि किसी छोटे बच्चे की बलि से यह समस्या दूर हो सकती है। इसके बाद उस कुम्हार ने एक बच्चे को पकड़कर भट्टी में डाल दिया। वह संकट चौथ का दिन था

काफी खोजने के बाद भी जब उसकी मां को उसका बेटा नहीं मिला तो उसने गणेश जी के समक्ष सच्चे मन से प्रार्थना की। उधर जब कुम्हार ने सुबह उठकर देखा तो भट्टी में उसके बर्तन तो पक गए लेकिन बच्चा भी सुरक्षित था।

इस घटना के बाद कुम्हार डर गया और राजा के समक्ष जाकर पूरी कहानी बताई। इसके पश्चात राजा ने बच्चे और उसकी मां को बुलवाया तो मां ने संकटों को दूर करने वाले सकट चौथ की महिमा का वर्णन किया। तभी से महिलाएं अपनी संतान और परिवार के सौभाग्य और लंबी आयु के लिए व्रत को करने लगीं।