Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

खत्म होने वाले है इंतजार, उत्तराखंड के लोगों को मिलने वाली है इतनी बड़ी सौगात

उत्तराखंड के नाम एक और कीर्तिमान जल्द बनने वाला है। अपनी ख़ूबसूरती के लिए मशहूर टिहरी को नयी पहचान भी मिलेगी और खत्म होगा प्रतापनगर टिहरी के लोगों का बेहद मुश्किल भरा लंबा इंतजार। लगभग 14 सालों के लम्बे इंतजार के बाद प्रतापनगर के लोगों के लिए जल्द ही वह शुभ अवसर आने वाला है जिसका उन्हें बेसब्री से इंतजार था। टिहरी को प्रतापनगर से सीधे जोड़ने के लिए निर्माणाधीन डोबराचांठी पुल बनकर लगभग तैयार है। डोबराचांठी पुल की सतह को आपस में जोड़ने का काम पूरा किया जा चुका है। रेलिंग और कोटिंग के बाद रोड सेफ्टी की एनओसी लेने के बाद उम्मीद की जा रही है कि मार्च 2020 तक लोगों के लिए इस पर आवाजाही भी शुरू कर दी जाएगी।

राजनीतिक दलदल में फंसे रहे इस प्रोजेक्ट का काम सालों से अधर में लटका पड़ा था, लिहाज़ा इसके बनने में में समय भी ज्यादा लगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सत्ता सम्हालते ही इसे अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल किया था। काम में तेज़ी लाने के लिए एकमुश्त बजट भी जारी किया गया।

सीएम डैशबोर्ड पर लोकनिर्माण विभाग की-परफोर्मेंस इंडिकेटर में डोबराचांठी पुल मुख्य बिंदु है। मुख्यमंत्री रावत नेखुद डोबराचांटी की प्रगति कार्यों पर लगातार नजर रखी। सियासी नूराकुश्ती में उलझे पुल के पूरे होने की लगभग उम्मीद खो चुके प्रतापनगर के लोगों को अब विश्वास हो गया है कि जल्द ही टिहरी आने जाने के लिए वो इस पुल का उपयोग कर सकेंगे।

एक्सपर्ट बताते हैं की 440 मीटर लंबा डोबराचांठी पुल भारत का सबसे लम्बा मोटरेबल सिंगल लेन झूला पुल है। इस पूल के बनने के पीछे भी कई दिलचस्प किस्से छिपे हैं। जब इस प्रोजेक्ट को लेकर हमारे कई संस्थानों ने हाँथ खड़े कर दिए थे तब लगने लगा था की मामला लटक सकता है लेकिन आखिरकार कोरियन कंपनी से इसकी डिजायनिंग तैयार करने में कामयाबी पाई। पुल की लागत लगभग 150 करोड़ रूपए है। तैयारियां देख कर लगता है की मार्च 2020 तक ये ऐतिहासिक पुल आवाजाही के लिये खोल दिया जायेगा।

साल 2006 से भागीरथी नदी पर बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर और थौलधार को जोड़ने के लिए पुल का निर्माण कार्य चल रहा है। टिहरी झील के ऊपर बनाया जा रहा डोबरा चांठी पुल का निर्माण कार्य पूरा होने से 3 लाख से ज्यादा की आबादी को जिला मुख्यालय तक आने के लिए 100 किलोमीटर की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। टिहरी आने वाले पर्यटक प्रतापनगर भी आ सकेंगे। आवागमन की सुविधा होने से क्षेत्र की आर्थिकी में भी इजाफा होगा।

प्रतापनगर आने-जाने के लिए बने पुल टिहरी झील में डूब गए थे। इस वजह से प्रतापनगर के लोगों को नई टिहरी, देहरादून,ऋषिकेश आने-जाने की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। मार्च 2020 तक पुल के बन जाने से प्रतापनगर के लोगों की आवागमन संबंधी कठिनाइयां समाप्त हो जाएंगी।

लोक निर्माण के अधिकारीयों का कहना है कि पुल के दोनोंओर 440-440 मीटर लंबी रेलिंग लगाई जानी है। फिर रेलिंग के ऊपर कोटिंग का काम होना है। इस कार्य के लिए तापमान गर्म होना चाहिए साथ ही पुल में आवाजाही के लिए रोड सेफ्टी विभाग की एनओसी जरूरी है। इसलिए पुल पर आवागमन मार्च, 2020 में ही शुरू हो पाएगा।

डोबरा चांठी पुल की शुरुआत कैसे हुयी ?

कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2006 में डोबरा चांठी पुल की घोषणा की। करीब 89 करोड़ की लागत वाले इस पुल को 2008 मे पूरा होना था, मगर यह आज तक नहीं बन पाया है। जबकि, इस पर तीन सौ करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है।

वर्ष 2011-12 में जब इस पुल पर 132 करोड़ खर्च हो चुके थे तो तब इसका डिजाइन ही फेल हो गया। वर्ष 2015 में पुल निर्माण के लिए ई-टेडरिंग कर कोरयिन कंपनी ने पुल का डिजाइन तैयार किया, जिसके बाद पुल निर्माण के लिए 139 करोड़ और स्वीकृत किए। पुल का निर्माण पूर्ण करने की तिथि अक्टूबर 2017 तय की गई, लेकिन निर्माण पूरा नहीं हुआ। वर्ष 2018 में पुल निर्माण को 74 करोड स्वीकृत किए गए। तब जनवरी 2019 में पुल पूरा होना था, लेकिन यह तिथि भी गुजर गई। की घोषणा की। करीब 89 करोड़ की लागत वाले इस पुल को 2008 मे पूरा होना था, मगर यह आज तक नहीं बन पाया है। जबकि, इस पर तीन सौ करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है।

वर्ष 2011-12 में जब इस पुल पर 132 करोड़ खर्च हो चुके थे तो तब इसका डिजाइन ही फेल हो गया। वर्ष 2015 में पुल निर्माण के लिए ई-टेडरिंग कर कोरयिन कंपनी ने पुल का डिजाइन तैयार किया, जिसके बाद पुल निर्माण के लिए 139 करोड़ और स्वीकृत किए। पुल का निर्माण पूर्ण करने की तिथि अक्टूबर 2017 तय की गई, लेकिन निर्माण पूरा नहीं हुआ। वर्ष 2018 में पुल निर्माण को 74 करोड स्वीकृत किए गए। तब जनवरी 2019 में पुल पूरा होना था, लेकिन यह तिथि भी गुजर गई। लेकिन अब लगता है की जल्द ही इस पुल पर लोगों की आवाजाही देखी जा सकेगी।

(साभार- मिशन मेरा गांव डॉट ओआरजी)