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देवरिया के तीन जांबाज सैनिकों को मिली सेना कोर्ट से दिव्यांगता पेंशन

लंबी सैन्य सेवा के बाद हुई न्यूरोसिस और प्राईमरी हाईपर टेंशन की बीमारी से सेना नहीं झाड़ सकती पल्ला

मानसिक बीमारी मेडिकल परीक्षण में पता नहीं की जा सकती, कहना पर्याप्त नहीं, सभी विंदुओं पर विचार किया जाना जरूरी:विजय पाण्डेय

लखनऊ, देवरिया निवासी अवधेश कुमार दीक्षित, मारकंडे प्रसाद वर्मा और मोहन लाल पाल को सशत्र-बल अधिकरण, लखनऊ (सेना कोर्ट) द्वारा लगभग अट्ठारह और नौ वर्ष बाद दिव्यांगता पेंशन देने का फैसला आया l बताते चलें कि जहां याची अवधेश कुमार दुश्मनों का सुरक्षा कवच भेदने वाली सेना की आर्टिलरी यूनिट में सन उन्नीस सौ तिरासी में भर्त्ती हुआ था वहीँ, मोहन लाल पाल देश की सेना की जरूरत के अनुसार सुविध मुहैया कराने वाली इंजीनियरिंग कोर में सन उन्नीस सौ चौरासी में और मारकंडे प्रसाद वर्मा सेना को मेडिकल सुविधा देने वाली एएमसी में उन्नीस सौ सरसठ में, जिन्होंने तेईस साल से लेकर तीस साल तक देश की सीमाओं की हिफाजत की लेकिन, तीनों को यह कहते हुए मेडिकल आधार पर निकाला गया कि, प्राईमरी हाईपर टेंशन और न्युरोसिस की बीमारी सैन्य गतिविधियों, परिस्थितियों, तनाव और दबाव का परिणाम नहीं है इसलिए, सेना दिव्यांगता पेंशन नहीं देगी लेकिन, साठ वर्षीय योद्धाओं ने हार नहीं मानी और, अपने अधिकारों के लिए जंग जारी रखी l

जहां अवधेश कुमार दीक्षित की याचनाओं को रक्षा-मंत्रालय, भारत सरकार ने दिनांक 18जनवरी,2010, 16अक्टूबर,2005 और 27जुलाई,2005 को ख़ारिज कर दिया वही दूसरी तरफ लाल वचन पाल द्वारा दिनांक 2मार्च,2022, 23अगस्त,2021, 9नवंबर,2021, 15 जनवरी,2020, 17अप्रैल,2019, 25मार्च,2018, 23जून,2017, 11सितंबर,2016, 16 दिसंबर,2015 और 20जनवरी,2015 पर कोई विचार ही नहीं किया l उसके बाद तीनों ने सेना कोर्ट लखनऊ में अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से वाद दायर किया, जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव एवं वाईस एडमिरल अभय रघुनाथ कर्वे की खण्ड-पीठ ने फैसला सुनाया कि दिव्यांगता पेंशन पाने की सभी विधिक आवश्यकताएं याची पूरी करते है, दिव्यांगता बीस प्रतिशत से अधिक है, मेडिकल आधार पर निकाला गया है, सैन्य सेवा काफी लंबी है, भर्ती के समय कोई बीमारी नहीं थी और, विपक्षी यह साबित करने के लिए कोई ठोस आधार प्रस्तुत नहीं किए हैं जिससे यह माना जा सके कि बीमारी सेना से संबंधित नहीं है इसलिए, रक्षा-मंत्रालय भारत सरकार पचास प्रतिशत दिव्यांगता पेंशन चार महीने के अंदर याची को दे, आगे यह भी कहा कि निर्धारित अवधि में आदेश का पालन न होने की स्थिति में याची आठ प्रतिशत व्याज का हकदार भी होगा l