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यही तो है घोर आश्चर्य! news in hindi

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डॉ. दीपक आचार्य. समाज-जीवन और परिवेश में जितने अधिक आश्चर्य इन दिनों देखने को मिल रहे हैं वे पहले कभी देखे-सुने नहीं गए. हमारे पुरखों का दुर्भाग्य ही रहा कि इससे पहले बहुरंगी विचित्रताओं का ऎसा संसार कभी नहीं रहा. इस मामले में सत्, त्रेता और द्वापर युगीन लोग भी फीके पड़ गए हैं.

मुफत की चाय-काफी और समोसा-कचोरी-पकौड़ी के लिए मुँह मारने, हराम का खान-पान करने मुर्गा तलाशने और मूर्ख गधों की अनुचरी करने वाले उपकृत भेड़छाप लोग राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मुद्दों पर उपदेश झाड़ रहे हैं. अपना घर तो संभलता नहीं इनसे, और दुनिया भर की पंचायती में रमे रहते हैं.

व्हाट्सअप, फेसबुक सहित तमाम प्रकार के सोशल मीडिया पर ऎसे लोगों की भरमार है. क्यों न इन सभी लोगों को समाज और दुनिया के लिए तरह-तरह का ज्ञान बाँटने की उल्लेखनीय और उत्कृष्ट सेवाओं को देखते हुए सम्मान राशि या बेरोजगारी भत्ता दिया जाए, ताकि ये और अधिक समय अपने समाज, अंचल, देश और विश्व को ज्ञान एवं उपदेश देने में कर सकें.

यह इनकी परम उदारता और कृपा ही है कि जो विषय इनके कभी रहे नहीं, जिनमें इनका ज्ञान-अनुभव और दक्षता तक नहीं रही, ऎसे-ऎसे चिन्तन-मनन लायक ज्ञान से हमें समृद्ध करते रहे हैं. इस मामले में इन्होंने विषय विशेषज्ञों और आधिकारिक विद्वानों-विदुषियों को भी पछाड़ रखा है. इसे कहते हैं पूर्वजन्मार्जित मौलिक या कि आयातित ज्ञान का कमाल.

अपने विश्राम और नींद के समय में भी कटौती कर रोजाना घण्टों तक कितना अधिक समय, डाटा और परिश्रम खर्च करते हुए जाने कहां-कहां से हमारे लिए ये ज्ञान और उपदेश संग्रहित कर परोसते रहे हैं. इस दिशा में इन देवदूतों का कोई सानी नहीं है.

निष्काम समाजसेवा और विश्व कल्याण के लिए जी रहे इन समर्पित लोगों के प्रति हमें सदैव आभारी रहना चाहिए क्योंकि इनका अपना व्यक्तित्व, गुण, दक्षता और ज्ञान-अनुभव सब कुछ पूर्वजन्म का संचित है, इसमें वर्तमान का कोई योगदान नहीं है. ईश्वर ने इन्हें केवल हमारे ज्ञान में अभिवृद्धि करने के लिए ही धरा पर अवतरित किया है.

ये ही वे महान लोग हैं जिनकी बधाइयां, शुभकामनाएं और प्रोत्साहन पाकर प्रतिभाएं सुनहरे भविष्य की ओर आगे बढ़ रही हैं, अन्यथा इन प्रतिभाओं का भविष्य ही अंधकारमय हो जाए.

किसी भी प्रतिभा को प्रोत्साहन, सम्बल और सहयोग में इनकी धेले भर की कोई रुचि भले न हो पर जब कोई प्रतिभा कुछ उपलब्घि हासिल कर लेती है तब बधाइयों और शुभकामनाओं की बारिश ये इस तरह से करते रहते हैं जैसे कि इन्हीं के निर्देशन, मार्गदर्शन, सान्निध्य और सहयोग से ये प्रतिभाएं लक्ष्य पाने में सफल रही हों.

किसी तरह का किंचित मात्र भी प्रत्यक्ष या परोक्ष योगदान के बिना भी इन्हीं प्रेरक और अनुकरणीय समाजसेवियों का सम्बल ही है कि इन प्रतिभाओं को प्रचार के साथ ही आगे बढ़ते रहने की

असीम ताकत और अपार आत्मविश्वास प्राप्त होता रहा है.

मानवीय संवेदनाओं से भरपूर ऎसे मेधावी, अनुभवी व्यक्तित्वों के कारण ही दिवंगत आत्माओं के मोक्ष पाने की राह अत्यन्त आसान हो जाती है और बिना किसी संचित पुण्य के इन

दिवंगतों को इन पराक्रमी लोगों की बदौलत ही आसानी से स्वर्ग प्राप्ति हो जाती है.

यह इन लोगों की परम कृपा और उदारता की कही जानी चाहिए कि इनके द्वारा प्रदत्त श्रद्धान्जलियों और संवेदनाओं की वजह से वे लोग भी मोक्ष प्राप्त कर रहे हैं जिन्हें ये न जानते हैं, न कोई नाते-रिश्तेदार हैं और न कोई दूर-दूर तक का रिश्ता.

यह इन प्रज्ञावान बुद्धिजीवियों की सरलता, सहजता और निरहंकारी स्वभाव का ही परिणाम है कि ये अपने स्तर से नीचे उतर कर भेड़चाल में शामिल होकर धड़ाधड़ शोक संवेदनाओं और श्रद्धान्जलियों की बरसात करते रहे हैं. अन्यथा इस घोर कलियुग में जिन्दा लोगों और नाते-रिश्तेदारों की भी कोई परवाह नहीं करता.

इनके साथ ही कुल परम्परा से सच्चे धार्मिक और नैष्ठिक उन भक्तों को भी नहीं भूलें जिन्हें मन्दिर जाने, नित्यकर्म, पूजा-पाठ, जप-अनुष्ठान और धार्मिक कार्यों को करने में कोई रुचि नहीं है, इन दिव्य कार्यों के लिए इनके पास कोई समय नहीं है, फिर भी दुनिया भर के मन्दिरों और भगवानों के फोटो भेज-भेज कर हम सभी नास्तिकों के मन में आस्था जगाने के अनथक प्रयासों में दिन-रात जुटे हुए हैं. धर्म और संस्कृति रक्षा में इनके इस अतुलनीय योगदान को सदियों तक नहीं भुलाया जा सकेगा.

इसके अलावा सेहत और ज्योतिष के अपरिमित ज्ञान की बदौलत हम सभी लोग आरोग्यवान भी हो रहे हैं और छोटे-मोटे ज्योतिषी भी. इनके द्वारा भेजे जाने वाले टोने-टोटकों का ही परिणाम है कि हमारी अपनी, घर-परिवार की समस्याएं मामूली खर्च में या बिना किसी खर्च के ऎसे खत्म हो रही हैं कि कुछ कहा नहीं जा सकता.

जीवन के सारे अभाव इनकी वजह से दूर होकर सब तरह की सुख-समृद्धि और आनंद संचार का अनुभव हो रहा है. वेद, पुराण, धर्म शास्त्रों और ज्ञान-विज्ञान से कोसों दूर रहने वाले सभी लोगों और समाज के लिए ये ज्ञानीजन ईश्वर के वरदान से कम नहीं हैं.

विभिन्न क्षेत्रों में निष्णात ज्ञानी-अनुभवी बुजुर्ग एवं पेंशनधारी वृद्धजनों के प्रति भी हमें बहुत अधिक आभारी होना चाहिए जो कि अपने पेशे, कर्म और अपनी दक्षता से संबंधित विषयों और अनुभवों की बजाय अन्यान्य विषयों पर महत्वपूर्ण ज्ञानराशि से हमें लाभान्वित करते रहे हैं. यह उनके लोक कल्याणकारी बहुआयामी व्यक्तित्व का परिचायक होने के साथ ही समुदाय के लिए गौरव व गरिमा का विषय है.

इन सभी त्वरित प्रतिक्रियावादी हस्तियों की दीर्घायु और यशस्वी जीवन के लिए भगवान से प्रार्थना करें जिनके कारण हमें दुनिया भर का चाहा-अनचाहा ज्ञान प्राप्त हो रहा है. हम रहें न रहें, अपनी संततियों को भी कहकर जाएं कि इन गौरवशाली विद्वान ज्ञानियों और उपदेशकों को यथोचित आदर-सम्मान से नवाजें क्योंकि समाज की इन धरोहरों के कारण ही हमें अपने समाज और अंचल पर गर्व है.

समाज और क्षेत्र की यह जिम्मेदारी है कि ऎसे ज्ञानी उपदेशकों की मूर्तियां लगवाई जाएं, इन पर पीएच.डी. करने के अवसर सुलभ हों, इनके नाम पर अलंकरण, सम्मान और पुरस्कार स्थापित किए जाएं, हर कार्यक्रम में इन्हें अतिथियों के रूप में आमंत्रित कर वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाए. ऎसा करके ही हम कृतज्ञ समाजजन, क्षेत्रवासी, देशवासी और दुनिया के लोग इनकी श्लाघनीय और युगीन सेवाओं से उऋण हो सकते हैं. यह हमारा सम सामयिक धर्म, फर्ज और नैतिक जिम्मेदारी है.

Source : palpalindia
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