सिरसा। (सतीशबंसल) किसानों के लंबे समय के संघर्ष व सरकार के प्रति कड़े विरोध प्रदर्शन के कारण भारत की
केंद्र सरकार द्वारा खेती के तीनों काले कानून वापिस लेने के बाद देश भर के किसान दिल्ली के हरियाणा, पंजाब,
राजस्थान, यूपी सीमाओं को खाली करके एक तरफ जहां जीत की खुशी मनाते हुए अपने घरों में वापिस लौटे थे।
वहीं 700 से अधिक किसान, माताएं, बहनें, युवा बुजुर्ग जो आंदोलन में तो बाकी किसानों के साथ चले थे।परन्तु वे वीरगति को प्राप्त होने की वजह से आंदोलन स्थगित होने पर किसानों के साथ घर नहीं लौट पाए। उन्हीं किसान योद्धाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा अराजनीतिक ने शहीद किसान श्रद्धांजलि समारोह मेंपहुंचने के लिए देश भर के किसानों से आह्वान किया है।
जो आगामी 11 दिसम्बर को सिंघु बॉर्डर पर आयोजितकिया जा रहा है। उपरोक्त जानकारी किसान जत्थेबंदी भारतीय किसान एकता बीकेई प्रधान लखविन्द्र सिंह औलख ने दी। इसी समागम के लिए टीम बीकेई ने 5 दिसम्बर दिन सोमवार को आनंदगढ़, रोहिड़ांवाली, ख्योंवाली,
चकेरियां, जलालाना, जगमालवाली, देसु मलकाना, तख्तमल, केवल, धर्मपुरा, दादू, त्रिलोकेवाला, तारुआना गांवों
का दौरा किया। उन्होंने बताया कि वे अपनी टीम के साथ जिन गांवों के किसानों से मिले हैं, उनमें आज भी अपने
अधिकारों की रक्षा करने वाला जज्बा और शहीद किसानों के लिए दर्द साफ नजर आता है। इसलिए 11 दिसम्बर
को देश का किसान एक वार फिर सरकार को अपनी ताकत का परिचय देगा। लखविन्द्र सिंह ने बताया कि इस
समारोह में शहीद किसानों को इंसाफ के साथ-साथ एमएसपी गारंटी कानून और उन सभी मुद्दों को जोर से उठाया
जायेगा। जिनको पूरा करने का आश्वासन केन्द्र सरकार ने दिल्ली बॉर्डर से उठने से पहले किसानों को दिया था।
फिर भी अभी तक केंद्र ने अपना वादा पूरा नहीं किया। इसके विपरित भूमि अधिग्रहण बिल-2022 जैसे नए कानून
किसानों पर थोपे गए हैं। इस मौके पर बीकेई महासचिव अंग्रेज सिंह कोटली, बलजिंद्र सिंह भंगू, गुरचरण सिंह
साहुवाला, भगवान सिंह सरां, सरपंच नछतर सिंह चकेरियां, भरत सिंह गोदारा, गुरदेव सिंह, सुनील कसवां
ख्योंवाली, मान सिंह जलालाना, प्रदीप जगमालवाली, मेजर सिंह तख्तमल, सिद्धांत गोदारा सरपंच ख्योंवाली
मौजूद रहे।