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आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

प्रदेश के 29 मुख्य चिकित्सा अधिकारियों एवं चिकित्सा अधीक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए महानिदेशालय ने शासन को भेजा पत्र

प्रदेश के 29 मुख्य चिकित्सा अधिकारियों एवं चिकित्सा अधीक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए महानिदेशालय ने शासन को पत्र भेज दिया है। इन पर स्थानांतरण के संबंध में गलत सूचना देने का आरोप है। प्रदेश में स्थानांतरण से संबंधित जिलों से आई सूचना में दो तरह की गड़बड़ियां पाई गई हैं। अधिकारियों ने आयुष व दंत चिकित्सकों की गलत जानकारी दी। लेवल-एक, लेवल-दो, लेवल-तीन के डॉक्टरों की सूचना लेवल-एक के डॉक्टर के रूप में दी गई। ऐसे में स्थानांतरण प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई। इतना ही नहीं 48 डॉक्टरों के तबादले रद्द करने पड़े हैं। इस पूरे मामले में निदेशक (प्रशासन) डॉ. राजा गणपति ने 29 सीएमओ व सीएमए को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा। सीएमओ व सीएमएस ने जवाब भेजा कि उन्होंने सिर्फ हस्ताक्षर किए हैं। सूचना रिपोर्ट लिपिकों ने बनाई थी।

गड़बड़ी के लिए संबंधित कर्मचारी दोषी हैं, लेकिन निदेशक (प्रशासन) ने इस जवाब को गलत ठहराया है। उनका कहना है कि जिले में सीएमओ और अस्पताल में सीएमएस नोडल प्रभारी हता है। ऐसे में किसी भी गलत सूचना के लिए वह भी जिम्मेदार है। ऐसे में महानिदेशालय ने सभी 29 सीएमओ व सीएमएस को गलत सूचना देने के लिए दोषी करार देते हुए शासन को रिपोर्ट भेजी है। प्रदेश में डॉक्टरों के साथ नर्सिंग, पैरामेडिकल एवं अन्य संवर्ग के कर्मचारियों के संबंध में महानिदेशालय ने मुख्य चिकित्साधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से सूचना मांगी थी। इसी सूचना के आधार पर स्थानांतरण किए गए। ऐसे में कई तबादले शासन की ओर से निर्धारित स्थानांतरण नीति के खिलाफ हो गए हैं। पूरे मामले को लेकर पांच सदस्यीय कमेटी गठित की। इस कमेटी की पड़ताल में यह बात सामने आई कि जिले स्तर से भेजी गई सूचनाएं गलत थीं, जिसकी वजह से स्थानांतरण पॉलिसी का पालन नहीं हो पाया। इस पर सभी सीएमओ व सीएमएस को नोटिस जारी किया गया था।