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रूसी सेना अब लुहांस्क के लिसिचांस्क शहर को घेरकर उसका आवागमन बंद करने की कोशिश

रूसी सेना अब लुहांस्क के लिसिचांस्क शहर को घेरकर उसका आवागमन बंद करने की कोशिश में है। नजदीकी बड़े शहर सीविरोडोनेस्क पर कब्जा करने के बाद रूसी सेना अब लिसिचांस्क पर कब्जे का प्रयास कर रही है। इसके लिए वहां पर हमले बढ़ा दिए गए हैं। यह लुहांस्क प्रांत का आखिरी शहर है जिस पर रूसी सेना का कब्जा होना बाकी है। डोनबास (लुहांस्क और डोनेस्क प्रांत) पर पूर्ण नियंत्रण के लिए रूसी सेना ने वहां पर हमले तेज कर दिए हैं। हाल के दिनों में गोलाबारी और बमबारी के साथ ही युद्ध क्षेत्रों में मिसाइल हमले भी हुए हैं। रूसी सेना की कोशिश है कि यूक्रेनी सेना को पश्चिमी देशों से मिल रहे भारी हथियारों की युद्ध क्षेत्र में तैनाती से पहले डोनबास पर पूरी तरह कब्जा हो जाए। लुहांस्क के गवर्नर सेरही हैदाई ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि रूसी सेना अब लिसिचांस्क का आवागमन बंद करने की कोशिश कर रही है। इस शहर में बीते दो हफ्ते से भीषण लड़ाई चल रही है। इसके कई इलाकों पर रूसी सेना का कब्जा हो गया है लेकिन सड़कों पर लड़ाई जारी है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक बार फिर से हिटलर की चर्चा की है। उन्होंने ईयू और नाटो की तुलना हिटलर से की है। कहा है कि दोनों संगठन मिलकर रूस पर हमले कर रहे हैं और यूक्रेन युद्ध को शांत नहीं होने दे रहे। दोनों संगठन युद्ध क्षेत्र बढ़ाने और रूस को उसमें उलझाने की कोशिश कर रहे हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हिटलर ने यूरोपीय देशों के सहयोग से सोवियत संघ के खिलाफ यही किया था। इसी के बाद विश्वयुद्ध की स्थितियां बनी थीं और सभी जानते हैं कि उसमें क्या हुआ। लावरोव इन दिनों सहयोगी देश अजरबैजान की यात्रा पर हैं।

यूक्रेन ने सीविरोडोनेस्क में मुकाबला खत्म होने पर वहां तैनात सैनिकों को ठिकाना छोड़ने के निर्देश दिए हैं। गवर्नर हैदाई ने शुक्रवार को सरकार के इस फैसले की पुष्टि की लेकिन यह नहीं बताया था कि इन सैनिकों को कहां भेजा जा रहा है। माना जा रहा है कि ये यूक्रेनी सैनिक लिसिचांस्क भेजे जा रहे हैं। इसी के कारण रूसी सेना ने वहां का रास्ता रोक दिया है। वैसे दोनों शहरों को जोड़ने वाले तीन पुलों को रूसी सेना पहले ही उड़ा चुकी है। सीविरोडोनेस्क में मुकाबला खत्म होने के बाद शांति छा गई है लेकिन वहां की वीरानगी भयावह है। दस लाख की आबादी वाले शहर में बमुश्किल दस हजार लोग बचे हैं और पूरा शहर खंडहर में तब्दील हो गया है।