Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

‘नामकरण संस्कार’ का महत्त्व:आपके या आपके बच्चे के  नाम से जुड़ा होता है  भाग्य या दुर्भाग्य

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नाम से सिर्फ आपकी पहचान ही  नहीं बल्कि आपका भाग्य और दुर्भाग्य भी जुड़ा होता है। किसी भी बच्चे का नामकरण करते समय हम नाम के कई पहलुओं पर ध्यान देते हैं जैसे नवजात शिशु के जन्म की तिथि, समय, ग्रह, नक्षत्र,  नाम के अर्थ और उच्चारण की ध्वनि को ध्यान में रखते हुए उसका नाम रखा जाता है।
    कुछ महान व्यक्तियों के इस दुनिया से जाने के बाद भी उनके काम और नाम सदैव याद किये जाते हैं। नाम की इसी महत्ता के कारण नामकरण प्रक्रिया में यह जरुर ध्यान रखना चाहिए की  नाम किसके द्वारा रखा जा रहा है।
नामकरण संस्कार
      ज्यादातर  आजकल  माता-पिता ही अपनी पसंद से बच्चे का नाम रखते हैं, लेकिन कई बार नाना-नानी, बुआ, मामा, दादा-दादी या करीबी रिश्तेदोरों में भी कोई बच्चे का नाम रखते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि इससे क्या फर्क  पड़ता है, लेकिन आपका यह सोचना गलत है।
      जबकि नामकरण आपके बच्चे के भविष्य और उससे भाग्य पर बहुत गहरा प्रभाव डालता है। आप बच्चे की जन्मपत्री से उसके भविष्य का कितना भी हिसाब लगा लें लेकिन यह एक वजह आपके उस हिसाब में उलट-फेर कर सकता है।
           आइये जानते हैं…. किस परिजन द्वारा रखा गया  नाम आपके लिए संघर्षपूर्ण हो सकता है:-
      जब कोई आपका नाम रखता है तो उस व्यक्ति के ग्रह आपके ग्रह से जुड़ जाते हैं और उसके जीवन के कुछ प्रतिशत हिस्से का प्रभाव आपके जीवन पर भी पड़ता है। अगर वह व्यक्ति किसी परेशानी या तनाव से गुजर रहा है तो उसका गहरा प्रभाव आपके जीवन पर भी पड़ेगा। इतना ही नहीं, कुछ विशेष रिश्तों से जुड़े परिजन द्वारा रखा गया नाम आपके जीवन को संघर्षमय बना सकता है I
         जब ननिहाल या बुआ पक्ष से कोई परिजन आपका नाम रखता है, तो यह कई परेशानियां और संघर्ष लेकर आता है। इसका मुख्य कारण यह है कि बुआ का नैसर्गिक कारक ग्रह ‘राहु’ होता है, इसी प्रकार मामा का नैसर्गिक भाव छठा और कारक ग्रह ‘बुध’ होता है।
        अगर इन दोनों पक्षों के ग्रह किसी कारणवश  पीड़ित हों  या इनके जीवन में कोई परेशानी रही, तो समझें बच्चे के लिए भी उसका जीवन संघर्ष पूर्ण होगा I
आपके भविष्य की बेहतरी के लिए आवश्यक है कि आपका नाम आपके माता-पिता ही रखें। ज्योतिष के अनुसार मां का भाव चतुर्थ और पिता का भाव दशम होता है।
माता-पिता के द्वारा  दिए नाम से आपकी कुंडली के चतुर्थ और दशम भाव यानि सूर्य और चन्द्रमा संतुलित रहते हैं। अगर ऐसा संभव नहीं है तो नाम ददिहाल पक्ष के ही किसी व्यक्ति को रखना चाहिए। इससे आपको भविष्य में लाभ अवश्य मिलेगा।
नामकरण में इसका भी रखें ध्यान:-
         नाम रखते समय अन्य कुछ बातों पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है ताकि आपके बच्चे से कोई दुर्भाग्य ना जुड़े।
         १-नाम हमेशा नवम और पंचम राशियों के आधार पर ही रखें।
         २-कभी भी किसी देवी-देवता के नाम के आधार पर कोई नाम ना रखें।
         ३-इसके अलावा यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि नाम बहुत सरल होना चाहिए और इसमें कभी भी किसी आधे अक्षर का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
         ४-आपके भविष्य की बेहतरी के लिए आवश्यक है कि आपका नाम आपके माता-पिता ही रखें। ज्योतिष के अनुसार मां का भाव चतुर्थ और पिता का भाव दशम होता है।
        ५- ननिहाल या बुआ पक्ष से रखा गया नाम   कई परेशानियां और संघर्ष लेकर आता है। इसका मुख्य कारण यह है कि बुआ का नैसर्गिक कारक ग्रह ‘राहु’ होता है, इसी प्रकार मामा का नैसर्गिक भाव छठा और कारक ग्रह ‘बुध’ होता है।
आचार्य राजेश कुमार