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महंगाई का झटका : रसोई गैस सिलेंडर आज से हुआ महंगा, जानिए कितने बढ़े दाम

नई दिल्ली। कोरोना काल में पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को एक और बड़ा झटका लगा है। आज (01 जुलाई ) से रसोई गैस की कीमतों में इजाफा हो गया है।

सरकारी तेल कंपनियों ने घर में इस्‍तेमाल होने वाली एलपीजी सिलेंडरों के दाम में 25.50 रुपये बढ़ा दिया है। इसके साथ ही राजधानी दिल्‍ली में एलपीजी सिलेंडर का भाव 834.50 रुपये हो गया है। अब आज से कोलकाता में 14.2 किलोग्राम वाले एलपीजी सिलेंडर का भाव 861 रुपये, मुबई 834.5 और कोलकात में 850 रुपये पर पहुंच गया है।

क्यों महंगा हुआ रसोई सिलेंडर

कमोडिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और पेट्रोलिम उत्पादों के दाम तेजी से बढ़ रहे है। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। ये कीमतें बाजार से जुड़ी हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम में वृद्धि होने पर घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ जाते हैं।

इस साल कब-कब बढ़ी कीमतें

इस साल जनवरी महीने में राजधानी दिल्‍ली में एलपीजी सिलेंडर का दाम 694 रुपये था, जिसे फरवरी में बढ़ाकर 719 रुपये प्रति सिलेंडर तक कर दिया गया था। 15 फरवरी को कीमतों में एक बार फिर इजाफा किया गया है, जिसके बाद यह 769 रुपये पर पहुंच गया। इसके बाद 25 फरवरी को एलपीजी सिलेंडरों के दाम में एक बार फिर इजाफा, जिसके बाद कीमतें 794 रुपये तक पहुंच गई। मार्च की बढ़ोतरी के के बाद कीमतें 819 रुपये प्रति सिलेंडर पर पहुंच गई थी।

कैसे तय होते हैं रसोई गैस सिलेंडर के दाम

औसत अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क दर और विदेशी मुद्रा के एक्सचेंज रेट के हिसाब से एलपीजी सिलेंडर के दाम तय होते हैं। इसी वजह से LPG सिलेंडर की सब्सिडी की रकम में भी हर महीने बदलाव होता है।

जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव बढ़ते हैं तो सरकार अधिक सब्सिडी देती है और जब दरें नीचे आती हैं तो सब्सिडी में कटौती की जाती है। टैक्स नियमों के अनुसार रसोई गैस पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की गणना ईंधन के बाजार मूल्य पर ही तय की जाती है।

सरकार देती है गैस सिलिंडर पर सब्सिडी

मौजूदा समय में सरकार कुछ ग्राहकों को एक वर्ष में 14.2 किलोग्राम के 12 सिलिंडरों पर सब्सिडी प्रदान करती है। अगर ग्राहक इससे ज्यादा सिलिंडर लेना चाहते है, तो वे उन्हें बाजार मूल्य पर खरीदते हैं। गैस सिलिंडर की कीमत हर महीने बदलती है। इसकी कीमत औसत अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क और विदेशी विनिमय दरों में बदलाव जैसे कारक निर्धारित करते हैं।

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