नई दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आतंकवाद को समर्थन देने के आरोप से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनका देश भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है, लेकिन इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा बाधा पैदा कर रही है।
एक भारतीय पत्रकार ने ताशकंद में इमरान खान से पूछा था कि द्विपक्षीय वार्ता और आतंकवाद एक साथ कैसे चल सकता है। इसका जवाब देने की बजाय ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ के लहजे में इमरान खान ने कहा, “मैं भारत को कहना चाहता हूं कि पाकिस्तान लम्बे समय से भारत के साथ सभ्य पड़ोसियों जैसे संबंध चाहता है, लेकिन क्या किया जाए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा बाधक बन रही है।”
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री क्षेत्रीय संपर्क सुविधाओं पर आधारित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में हैं। उन्हें सम्मेलन में अफगानिस्तान के नेताओं के इन आरोपों का सामना करना पड़ा की पाकिस्तान अफगानिस्तान में जिहादी लड़ाकुओं को भेज रहा है। इन आरोपों पर उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के संघर्ष में पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं है। पाकिस्तान वहां शांति प्रक्रिया को समर्थन दे रहा है।
अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुला सालेह ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि उसकी वायुसेना तालिबान लड़ाकुओं को सीमा क्षेत्र में एयर सुरक्षा कवर दे रही है। पाकिस्तान पर अफगानिस्तान की ओर से यह भी आरोप लगाया गया था कि पिछले एक महीने के दौरान सैकड़ों जिहादी तत्व पाकिस्तान से अफगानिस्तान पहुंचे हैं।