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इतिहास के गड्ढे-पकौड़ा रोजगार, शाह की डेब्यू स्पीच के 5 बड़े मोमेंट

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा में आज अपना पहला भाषण दिया. इस दौरान शाह ने मोदी सरकार की एक-एक नीतियों के जिक्र के साथ उपलब्धियां गिनाते हुए देश दयनीय हालत के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया. उनके डेब्यू स्पीच में  5 बड़े मोमेंट देखने को मिला.

विरासत के गड्डे

अमित शाह ने कहा कि 2014 में जब हम सत्ता में आए तो हमें विरासत में गढ्ढे मिले थे. सरकार का बहुत सारा समय गढ्ढा भरने में ही निकल गया.उन्होंने कहा कि 2013 में देश की जो स्थिति थी, उसे याद करने की जरूरत है. देश में विकास की गति काफी गिरी हुई थी, महिलाएं देश में सुरक्षित नहीं थीं. सीमा की रक्षा करने वाले जवान सरकार के अनिर्णय के कारण कुछ कर नहीं पा रहे थे. ऐसे दौर से देश को निकालकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां लाए हैं.

शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गैस सब्सिडी छोड़ने की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के द्वारा देश को एक दिन के उपवास करने के ऐलान से किया. शाह ने कहा कि वोट पालिटिक्स में खातिर लोग देश हित में फैसला लेने से कतराते हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने पाकिस्तान के युद्ध के समय चावल की कमी हो गई थी. ऐसे उन्होंने देश की जनता से सप्ताह में एक दिन का उपवास करने की बात कही थी.

शाह ने सोमवार के दिन का जिक्र किया, लेकिन बगल की ओर से एक राज्यसभा सदस्य ने टोका कि सोमवार नहीं बल्कि शनिवार का दिन का बात शास्त्री ने कही थी. इस पर शाह ने अपनी गलती में सुधार किया और कहा कि उस समय मेरा जन्म नहीं हुआ था. उन्होंने कहा कि पीएम की अपील पर देश के 1 करोड़ तीस लाख लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी. प्रधानमंत्री ने छोड़ी गई गैस सब्सिडी से गरीब, दलितों और आदिवासियों के लिए उज्जवला योजना शुरू की है. कोई और पीएम होता तो अपना खजाना भर लेता.

पकौड़ा रोजगार

 अमित शाह ने  भीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह पकौड़ा रोजगार की बात बात को दोहराया. शाह ने कहा कि बेरोजगारी से अच्छा है कि कोई युवा पकौड़ा बेच रहा है, पकौड़ा बेचना शर्म की बात नहीं है इसकी भिखारी के साथ तुलना ना करें. शाह ने कहा कि चाय बेचने वाला आज देश का प्रधानमंत्री है. आज जो पकौड़ा बेचरा है वो कल का उद्योगपित बन सकता है.

अमित शाह ने अपने भाषण में इंदिरा गांधी की तारीफ किया. उन्होंने कहा इंदिरा जी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने का बड़ा कदम उठाया. इसके बावजूद गरीबों के लिए बैंकों के दरवाजे नहीं खुले थे. हमारी सरकार ने जनधन योजना के तहत गरीबों के लिए बैंकों में खाते खुलवाने का काम किया.

गब्बर सिंह टैक्स

शाह ने कहा,’जीएसटी काउंसिल की 23 बैठक में कांग्रेस सरकारों के कई मंत्री शामिल हुए और उन्होंने सहमति जताई. लेकिन सदन में कुछ और भाषा बोलते हैं. लोग जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बोल रहे हैं, गब्बर सिंह एक डाकू था. कानूनी रूप से टैक्स लेना क्या डकैती है? ये टैक्स जवानों के लिए जाता है, लोगों की भलाई में जाता है. क्या लोगों को टैक्स ना देने के लिए कहना अच्छी बात है.’