उन्होंने कहा, ‘‘सीमा पार गोलीबारी की कुछ घटनाएं हो सकती हैं। यह कोई मायने नहीं रखता।’’ दलाई लामा यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 1951 में स्थानीय तिब्बत सरकार और पिपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के बीच तिब्बत की आजादी के लिए 17सूत्री एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था। आज चीन बदल रहा है और वह सबसे अधिक बौद्ध आबादी वाला देश बन गया है। उन्हें (भारत और चीन को) ‘‘हिंदी-चीन भाई भाई’’ की दिशा में एक बार फिर लौटना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि वहां (चीन में) कम्युनिस्ट सरकार है लेकिन बौद्ध धर्म को भी व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।
14वें दलाई लामा ने कहा, ‘‘इससे पहले तिब्बत में दलाई लामा आध्यात्मिक एवं राजनीतिक गतिविधियों की अगुआई करते थे लेकिन वर्ष 2011 से मैंने पूर्ण रूप से राजनीति से संन्यास ले लिया। यह संस्थानों का लोकतंत्रीकरण करने का एक तरीका था, क्योंकि उनमें कुछ सामंती तत्व भी थे।’’ उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को ‘‘बौद्ध धर्म मानने वाले चीनी लोगों के लिये तीर्थस्थान का विकास करना चाहिए’’।