स्वतंत्रता के बाद, देश को वर्षों तक रही गुलामी की चोट को भरना था. तो वहीं समाज में व्याप्त कुरीतियों तथा सामंतवादी सोच से भी लड़ना था. उसी कालखंड के एक वीर रस से भरे कवि थे ‘रामधारी सिंह दिनकर’ जिनकी कविताओं को पढ़कर आज भी लोगों के अंदर जोश ...
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