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तबलीगी जमात का प्रमुख मौलाना साद फरार, पुलिस टीम तलाशी में जुटी

तबलीगी जमात के मरकज की वजह से देशभर में कोरोना को लेकर खतरा बढ़ गया है। इस मरकज में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए देश के कई राज्यों में छापेमारी की जा रही है। इसके अलावा इस जमात का प्रमुख मौलाना साद भी फरार है। बता दें कि मौलाना साद के खिलाफ निजामुद्दीन थाने में केस दर्ज किया गया है और इसके साथ ही उसके 6 साथियों को भी पुलिस खोज रही है।

तबलीगी जमात के मरकज पर देश के अलग- अलग राज्यों में गए. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, असम, मेघालय, अंडमान समेत तमाम राज्य सरकारों ने जलसे में शामिल 5 हजार जमातियों को ढूंढ निकाला।

इन सभी लोगों को अलग- अलग राज्यों में क्वारंटीन कर दिया गया है, लेकिन अभी भी सैकड़ों ऐसे हैं जिन्हें ढूंढना बाकी है। मरकज के मौलाना साद के बारे में कहा जा रहा है कि वो दिल्ली ही छुपा बैठा है। दिल्ली में उसके दो घर हैं। एक हजरत निजामुद्दीन बस्ती और दूसरा जाकिर नगर में। तबलीगी जमात के मौजूदा अमीर मौलाना साद का विवादों से पुराना नाता है।

1965 को दिल्ली में जन्मे मौलाना साद साल 2015 में जबरन तबलीगी जमात के अमीर बन बैठे थे। दरअसल 1995 में तबलीगी जमात के तीसरे अमीर मौलाना इनाम उल हसन कांधवली की मौत के बाद 10 सदस्यों की कमेटी बनाई गई। इसे शूरा कहा जाता है, तबलीगी जमात का कामकाज 2015 तक शूरा ही संभालती थी, लेकिन इस दौरान इसके तमाम सदस्यों का इंतकाल हो गया।

16 नवंबर 2015 को नए शूरा का गठन किया गया, लेकिन मौलाना साद ने नए शूरा को मानने से इंकार कर दिया और जबरन अमीर बन बैठे। तब से तबलीगी जमात पर मोहम्मद साद का ही कब्जा है। मौलाना साद की जोर जबरदस्ती के कारण निजामुद्दीन का मरकज दो गुटों में बंट गया। एक गुट मौलाना साद के समर्थकों का और दूसरा ग्रुप मौलाना ज़ुबैर के बेटों के समर्थकों का बन गया था। दोनों गुटों में झगड़ों के कारण पुलिस को भी कई बार दखल देना पड़ा।