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धूमधाम से मनाया स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्मोत्सव

सिरसा

आर्य समाज मंदिर, सिरसा के पावन स्थल पर महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्मोत्सव पर
विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम राजकुमार शास्त्री के ब्रह्मत्व में यज्ञ करते हुए कार्यक्रम का
शुभारंभ किया गया। यज्ञ के आसन को मुख्य यजमान स्वरूप में पवन सिंवर, विमला सिंवर और राजेश सेठी,
निर्मल सेठी ने सुशोभित किया। तत्पश्चात् आर्यजगत के सुप्रसिद्ध भजनोपदेशिका तन्नू आर्या ने भजन तू कर
प्रभु का भजन जीवन सवर जाए और ऋषि दयानंद सरस्वती के दिव्य विचारों से आर्यों को आह्लादित किया और
जीवन को सुगम बनाने हेतु सदुपदेश किया। इस अवसर पर आर्य समाज मंदिर सिरसा के संरक्षक जगदीश सिंवर
शेखुपुरिया ने सभी आर्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया और महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन से श्रद्धालुओं को


संक्षिप्त में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आर्यसमाज के संस्थापक एवं अमरग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश के रचयिता
महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात के टंकारा ग्राम में श्री कृष्ण लाल तिवारी के घर
हुआ। उनके बचपन का नाम मूलशंकर था। पूर्णानन्द से संन्यास की दीक्षा पाकर महर्षि दयानंद के नाम से
विख्यात हुए। जिज्ञासु प्रवृत्ति होने के कारण स्वामी जी ने छोटी उम्र में घर का परित्याग कर संसार को प्रकाशित
करने हेतु ज्ञान का दीपक जलाया। अति घूमने-फिरने के बाद मथुरा में स्वामी विरजानंद से उनका संपर्क हुआ।
तीन वर्ष तक ज्ञान-विज्ञान की शिक्षा लेकर राष्ट्र को अंधकार से हटाकर प्रकाशमय बनाने हेतु चल पड़े। 1875 में
आर्यसमाज की स्थापना की। देश को आजाद करवाने हेतु प्रथम नींव स्थापित की। प्रधान अशोक वर्मा ने महर्षि की
कृपा का गुणगान किया और कहा कि महर्षि ने छूआछूत व भेदभाव मुक्त समाज की स्थापना की। उन्होंने विदेशी
से बेहतर स्वराज, अधिकाधिक सद्विचारों से जुड़े रहने के लिए परामर्श दिया। सुरेंद्र आर्य ने मुख्य यजमान को
सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर मंत्री ओमप्रकाश खर्रा, कोषाध्यक्ष मास्टर हवा
सिंह, पुस्तकालय अध्यक्ष रतिराम, रामप्रताप भादड़ा, राजेन्द्र चाडीवाल, सुभाष वर्मा, ऋषि खर्रा, श्योचन्द, विवेक,
जयप्रकाश, सुरेश शेरडिया, प्रेम शर्मा, ओमप्रकाश आर्य, कुणाल, बालचंद मुनि, राम सिंह, शमशेर सिंह, वेदप्रकाश
सरदाना, श्योकरण फतेहपुरिया, भूप सिंह गहलोत, इंद्रपाल आर्य सहित अन्य समाज के लोग उपस्थित रहे।