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सुषमा स्वराज की शोक सभा में PM मोदी ने कहा-उम्र में मुझसे छोटी थीं लेकिन बहुत कुछ सिखाया

 

 

नई दिल्ली। सुषमा स्वराज ने विश्व बंधुत्व की भावना के अनुरुप विदेश मंत्रालय की कार्यशैली में मानवीय पहलू को जोड़ा तथा संकटग्रस्त लोगों की हरसंभव मदद की।

मंगलवार को यहां जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष व गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के तमाम नेताओं और विभिन्न धार्मिक सामाजिक संगठनों के नेताओं ने सुषमा स्वराज को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज की राजनीति में ऐसे लोगों का बोलबाला है जो लोगों को खुश करने के लिए मुंहदेखी या खुशामद की बात करते हैं। सुषमा का व्यक्तित्व इससे अलग था। वह अपनी बात पूरी दृढ़ता से कहती थीं, भले ही वह किसी को अच्छी लगे या बुरी। अपनी बात कहने में वह कभी संकोच नहीं करती थीं।

मोदी ने बतौर विदेश मंत्री उनके कामकाज की प्रशंसा करते हुए कहा कि सुषमा के कार्यकाल में विदेश मंत्रालय का मानवीय चेहरा प्रभावी ढंग से उभरकर सामने आया। उन्होंने विदेश मंत्री रहते हुए विश्वभर में फैले भारतीय समुदाय के लोगों के माध्यम से वसुधैव कुटुंबकम की भावना को विदेश मंत्रालय के जरिए सिद्ध कर के दिखाया। विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा के कार्यकाल में पासपोर्ट कार्यालयों की संख्या 77 से 505 हुई। इससे पता चलता है कि उन्हें लोगों की कितनी परवाह थी।

मोदी ने दिवंगत नेता से जुड़े संस्मरणों को याद करते हुए कहा कि सुषमा जब भी मुझसे मिलती थीं तो जय श्रीकृष्ण कहती थीं और मैं उन्हें द्वारिकाधीश कहता था।

पीएम ने कहा कि अब जीवन की विशेषता देखिए, उन्होंने सैकड़ों फोरम में जम्मू-कश्मीर की समस्या पर बोला होगा। आर्टिकल 370 पर बोला होगा, एक तरह से उसके साथ वह जी जान से जुड़ी थीं। जब जीवन का इतना बड़ा सपना पूरा होता है और खुशी समाती न हो… सुषमा जी के जाने के बाद जब मैं बांसुरी से मिला तो उन्होंने कहा कि इतनी खुशी-खुशी वह गईं हैं कि उसकी कल्पना करना मुश्किल है। एक प्रकार से उमंग से भरा मन नाच रहा था और उस खुशी के पल को जीते-जीते वह श्री कृष्ण के चरणों में पहुंच गईं।

प्रधामंत्री ने कहा कि एक व्यवस्था के अंतर्गत जो भी काम मिले, उसे जी-जान से करना और व्यक्तिगत जीवन में बड़ी ऊंचाई मिलने के बाद भी अहं न रखना, ये कार्यकर्ताओं के लिए सुषमा जी की बहुत बड़ी प्रेरणा है।

मोदी ने एक और संस्मरण का जिक्र करते हुए कहा कि ‘मैं और वेंकैयाजी सुषमाजी के पास गए और उन्हें कर्नाटक से चुनाव लड़ने के लिए मनाया, उस चुनाव का परिणाम निश्चित था, लेकिन उन्हें चुनौतियों का सामना करना पसंद था।

उन्होंने कहा कि सुषमा का भाषण प्रभावी होने के साथ-साथ, प्रेरक भी होता था। सुषमाजी के वक्तव्य में विचारों की गहराई हर कोई अनुभव करता था, तो अनुभव की ऊंचाई भी हर पल नए मानक पार करती थी। ये दोनों होना एक साधना के बाद ही हो सकता है।

मोदी ने कहा कि आमतौर पर हम देखते हैं कि कोई मंत्री या सांसद जब अपने पद पर नहीं रहता है,लेकिन सरकार को उसका मकान खाली कराने के लिए सालों तक नोटिस भेजनी पड़ती है। कभी कोर्ट-कचहरी तक होती है। किंतु सुषमा ने चुनाव नतीजे आने के बाद पहला काम मकान खाली करके अपने निजी निवास स्थान पर वो पहुंच गईं।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सुषमा स्वराज के जाने से न केवल भाजपा बल्कि समग्र देश के मानचित्र पर एक रिक्तता जो खड़ी हुई है, उसकी भरपाई लंबे अर्से तक नहीं हो पाएगी। वह ओजस्वी वक्ता, जागरूक सांसद, कुशल प्रशासक और विपक्ष की नेता के नाते जनता की आवाज को मुखर करने में संसद के अंदर कभी कमी नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि विदेश विभाग को जनता के साथ जोड़ना सुषमाजी की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। विश्व भर में कोई भी भारतीय कहीं भी हो, वो जब भी उन्हें ट्वीट करता था तो उसे हमेशा उनका जवाब और सहायता मिलती थी।

शाह ने कहा कि भाजपा की नेत्री के रूप में लंबे समय तक उन्होंने पार्टी के विकास और सफल यात्रा में जो योगदान दिया है, उसे सभी भाजपा कार्यकर्ता सदैव याद रखेंगे और देश की संसद में उनकी आवाज हमेशा-हमेशा गूंजती रहेगी।

वरिष्ठ नेता और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सुषमा स्वराज जन-मन की नेता थीं। उन्होंने लोगों का दिल जीता था। वह हमेशा अंतर्मन से बोलती थीं।

भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि सुषमाजी ने बहुत से काम ऐसे किए जिससे उन्होंने राजनीति और सरकार में एक अमिट छाप छोड़ी। हम सभी ने एक प्रखर नेता, ओजस्वी वक्ता और ममतायुक्त व्यक्तित्व को खो दिया है। उनके शब्दों में एक धार थी और तर्कपूर्ण तरीके से संसदीय सीमा में बात करने में उन्हें महारथ हासिल थी।