सुप्रीम कोर्ट ने ऑल्ट न्यूज के मोहम्मद जुबैर को 5 दिन की अंतरिम जमानत दे दी। जुबैर के खिलाफ सीतापुर में दर्ज FIR खारिज करने की याचिका पर अब 12 जुलाई को सुनवाई होगी। शुक्रवार को अदालत में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कहा कि जुबैर के खिलाफ दर्ज मुकदमों में विस्तृत जांच की जरूरत है। मेहता ने कहा कि ‘केवल ट्वीट्स किए, यह मान लेना ही जांच का अंत नहीं है। उसने (जुबैर) सालों तक एक खास हिस्से की धार्मिक भावनाएं भड़काने की नीयत से ट्वीट्स किए हैं। क्या वह किसी बड़े षडयंत्र का हिस्सा है या उसके पीछे भारत विरोधी ताकतें हैं, इसकी सघन जांच होनी चाहिए। इसके लिए पुलिस को फोन्स और अन्य डिवाइसेज चाहिए होंगे जिनसे वह अपना एजेंडा चलाता था।’ एसजी ने यह भी साफ किया कि दिल्ली में दर्ज FIR में जुबैर पहले से जुडिशल कस्टडी में है।
ऐसे में सीतापुर केस में बेल के बावजूद वह रिहा नहीं हो पाएगा। एसजी ने कहा कि 10 जून को जुबैर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हुई। उसने 15 जून को सुप्रीम कोर्ट में अपील की और तत्काल सुनवाई की मांग की। उसे तीन हफ्ते बाद समझ आया कि उसे धमकियां मिल रही हैं। मेहता ने कहा कि जुबैर ने यह तथ्य भी छिपाया कि सीतापुर की अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारिज करते हुए पुलिस को कस्टडी दी थी। जुबैर को सीतापुर वाले केस में शर्तों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है। वह केस से जुड़ा कोई ट्वीट पोस्ट नहीं करेंगे। कहीं और किसी भी सबूत, इलेक्ट्रॉनिक या अन्यथा के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे।