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कथा वाचक जया किशोरी ने कहे अनमोल वचन, बोली उतार-चढ़ाव जीवन का हिस्सा…

कथा वाचक जया किशोरी ने बताया की बच्चों को अध्यात्म से जोड़ना बहुत ही आवश्यक हैं. जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं अध्यात्म हम इनसे लड़ने की शक्ति प्रदान करता हैं. बच्चों को श्री कृष्ण, भगवान राम एवं धार्मिक कथाओं का कोई ज्ञान नहीं हैं.

माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अपने संस्कारो और सम्मान को बनाये रखे लेकिन जब उनमे धर्म के प्रति कोई रुझान नहीं हैं तो हम बच्चों से यह उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि वे हमारी धर्म को समझे और उनका आदर करे. उन्होंने कहा की हमें बच्चों को धर्म की कथाएं सुनानी चाहिए ताकि उनके अंदर सात्विक भाव और संस्कार आये.

यह सारी बाते उन्होंने प्रेसवार्ता में कही कि यदि हमें हमारे जीवन को परिवर्तित करना हैं तो हमें अवश्य ही श्रीमद्भागवत कथा सुनना चाहिए. लेकिन ये परिवर्तन एक दिन में नहीं हो सकता हैं जैसे एक पौधे को पानी और खाद से बोया जाता हैं और यह धीरे-धीरे बड़े होकर एक वृक्ष का रूप ले लेता हैं वैसे ही हमें भी बच्चों को सोते समय भगवान की कथाएं सुनानी चाहिए ताकि यह सात्विक संस्कार उनके अंदर पनपे.

उन्होने ये भी बताया की आजकल कथावाचकों के प्रति बढ़ते अविश्वास को लेकर उन्होंने कहा कि एक मछली जैसे पूरे तालाब को गन्दा कर देती है I हमें कभी भी एक दो चमत्कार को देखा कर गुरु नहीं बनाने चाहिए. एक सच्चा और अच्छा गुरु वो हैं जो भक्त को खुद से नहीं अपितु ईश्वर से मिलाये. जब भी हमने इंसान को भगवान की उपाधि दी हैं तब ऐसा ही कुछ गलत देखने को मिला हैं. घर को त्याग देना आध्यात्म में जरुरी नहीं हैं.

अन्य सवाल का जवाब देते हुए इन्होने कहा कि में अभी युवाओं को मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाने का काम कर रही हू. भगवान से जुड़ने के बाद व्यक्ति में परेशानियों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती हैं. उन्होने कहा कि में आगे कथा के साथ मोटिवेशनल स्पीकिंग सेशन की भी शुरुआत करुँगी. ज़िन्दगी से हार मानने और तनाव अवसाद जैसे मामले आजकल युवाओं में देखने को मिल रहे हैं. हार और जीत ज़िन्दगी का हिस्सा हैं और युवाओं को इससे निराश कभी नहीं होना चाहिए.