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ऑनलाइन गुरुकुल कार्यक्रम में तीन नवविवाहित युगलों सहित साध-संगत ने नारे पर अमल करने का लिया संकल्प

बरनावा

देश-दुनिया में बढ़ती जनसंख्या के कारण भूखमरी, बेरोजगारी, गरीबी,
प्रदूषण का विकराल संकट उपजा हुआ है। इससे निपटना समय की जरूरत है, वरना आबादी का यह स्वरूप
प्राकृतिक संसाधनों को निगल जाएगा। विश्व के महान समाज सुधारक पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह
जी इन्सां इसको लेकर काफी गंभीर नजर आ रहे है तथा छोटे परिवार के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे है। इसी कड़ी में
शनिवार को उत्तर प्रदेश के शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा में ऑनलाइन गुरुकुल के दौरान भी पूज्य गुरु जी ने
जनसंख्या नियंत्रण के लिए 'एक ही सही दो के बाद नहीं' का नारा देते हुए छोटे परिवार के लिए लोगों को प्रेरित
किया। वहीं इस दौरान पूज्य गुरु जी से प्रेरणा पाकर तीन नवविवाहित युगलों ने अपनी शादी के दौरान लिखित में
शपथ पत्र भरकर 'एक ही सही दो के बाद नहीं' का संकल्प लिया। इसके अलावा ऑनलाइन जुड़ी हुई साध-संगत ने भी
अपने दोनों हाथ उठाकर इस मुहिम में बढ़-चढ़कर सहयोग करने का प्रण लिया।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हमने पहले भी कहा था और आज भी कह रहे है कि 'एक ही सही दो के बाद
नहीं'। ये आप धारण करके रखें। हमने से मानवता भलाई का कार्य पहले ही चला रखा है। साध-संगत ने पहले ही
इसको मान रखा है, इसलिए भगवान उनके घरों में खुशियां दें। आप अमल कीजिए, इससे देश की तरक्की होगी।
आने वाला जनसंख्या का विस्फोट हो सकता है भगवान जी बचा लें। वरना आप पहले के मुकाबले देख लीजिए
कितनी बेरोजगारी, कितने क्राइम, कितनी आवारागर्दी बढ़ गई है। अगर जनसंख्या नियंत्रण नहीं हुई तो ये चीजें
बढ़ती ही जाएगी। क्योंकि इतनी बढ़ती जनसंख्या को कोई भी काम नहीं दे सकता। कहां से देंगे, जब एक के पैदा ही
5-7 हो रहे है। जब इंसान को परेशानी, तकलीफ  आती है तो भगवान को दोष देता है कि वह उनकी सुनता क्यों नहीं।
जनसंख्या जब तक रुकेगी नहीं देश और संसार तरक्की नहीं कर सकता। पूज्य गुरु जी ने कहा कि बेटियां बेटों से
कम नहीं है, बराबर है। बल्कि कहीं न कहीं बेटियां मां-बाप के लिए सॉफ्ट कॉर्नर रखती है या फिर यूँ कहें कि ममता
का भाव रखती है। वो बेटों में नहीं होता कुदरती तौर से। ऐसा नहीं है कि बेटे गलत होते है। कितने भी अच्छे क्यों न
हो लेकिन ममता की भावना जो बेटियों के अंदर होती है, अपने मां-बाप के लिए वो आखिर तक रहती है। ये हमने
देखी हुई और आजमाई हुई बाते है। दूसरी बात जिन घरों में बेटी नहीं होती। वहां रहना, सहना तथा तमीज नाम की


चीजें बहुत कम पाई जाती है। जहां बेटी होती है वहां रहन-सहन में, तमीज बोलने में, पहनने में, बहुत सारी तमीज
रहती है। इसलिए यह कभी मत सोचे कि उन्हें सिर्फ बेटा ही चाहिए। ये भी मत सोचो की बेटी ही चाहिए। एक बेटा हो
गया या फिर बेटी हो गई बस मालिक की देन हैं, ये मान लेना चाहिए। पर अगर ज्यादा ही है तो दो, दो के बाद नहीं।
अगर ये सारी साध-संगत अमल करेगी तो कुछ हद तक कंट्रोल होगा। इस कार्य की शुरुआत शनिवार को दिल जोड़
माला पहनकर वैवाहिक बंधन में बंधे नवयुगलों ने शपथ पत्र भरकर की।
परम पिता परमात्मा ने इंसान को खुद मुख्तार बनाया है, मजीज़् का मालिक बनाया है। चौरासी लाख शरीर, जुनियां
हमारे धर्मों में बताई गई है। जिसमें वनस्पति है, कीड़े-मकोड़े है, पक्षी है, जानवर है और इंसान गंद्रव देवता, उनकी
अलग से चर्चा भी होती है। इन सबमें सर्वश्रेष्ठ मनुष्य को कहा गया। सर्वोत्तम, खुद मुख्तार और मुखिया या फिर
सरदार जुन यानी सबसे जबरदस्त शरीर प्रभु-परमात्मा ने इंसान को बनाया है। इसका दिमाग बाकी सब जीवों से
बहुत ही ज्यादा है। आज आदमी 10 से 15 परसेंट हिस्सा ही दिमाग का काम में लेते है। उससे ही सुपर कम्प्यूटर बन
गए, बड़ा कुछ बन गया, पर 10 से 15 परसेंट इस्तेमाल करने से। पर जब हम हर चीज के लिए दिमाग का इस्तेमाल
करते है तो फिर जो जनसंख्या बढ़ रही है, पानी की कमी आ रही है, इसके लिए इंसान क्यों नहीं सोचता? कई कह देते
है कि भगवान देता है, ये तो भगवान का लिखा हुआ है ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु राम का। इसलिए बच्चे आते
जाते है। भगवान ने इंसान को खुद मुख्तार बनाया है। उस परम पिता परमात्मा ने आपको मर्जी का मालिक बनाया
है। कुछ हद तक आप नए कर्म कर सकते है। वो आपके हाथ में है कि अच्छे करो या बुरे। बुरे कर्म करके आप राक्षस-
शैतान को भी सरमा सकते है और अच्छे कर्म करके आप परम पिता परमात्मा को भी पा सकते है। तो उस खुद
मुख्तारी का फायदा उठाते हुए आप उस की दी हुई कुदरत की चीजों का विनाश ना करें। अब जनसंख्या कंट्रोल का है,

तो ये किया जा सकता है, अगर आप चाहें तो। ना चाहें तो बात अलग है। हमने सभी धर्मों के पाक-पवित्र ग्रंथ पढ़े,
पवित्र गुरबाणी पढ़ी, पवित्र कुरान शरीफ  पढ़ी, पवित्र वेदों की चर्चा तो हम शुरुआत से ही करते है। तो सारे पवित्र
धर्मों में, ग्रंथों में कहीं भी यह जिक्र नहीं है कि बच्चे 5,10,15, 20 पैदा करो। संयम का जिक्र जरूर मिलता है, संतोष
धन होना चाहिए, संतुष्टि होनी चाहिए, इसका जिक्र मिलता है। तो आप चाहे तो कंट्रोल कर सकते है। कितना अच्छा
हो कि आपके एक ही हो या फिर दो, इससे ज्यादा ना हो। अच्छा पालन-पोषण भी कर पाएंगे। अच्छा पढ़ा-लिखा के
उसको देश के लिए, समाज के लिए बहुमूल्य बना देंगे और जितने ज्यादा होंगे एक तरह से आप समाज के लिए, देश
के लिए और संसार के लिए घातक काम कर रहे है। अनजाने में ही सही लेकिन जो जनसंख्या विस्फोट होने वाला है,
वो गलत है। आप देखेंगे कि जनसंख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन साधन कम होते जा रहे है, तो ये दो-तीन
बाते आप दिलो-दिमाग में रखे कि प्रकृति हमें देती बहुत कुछ है, पर अगर हम उसका नाश करते है तो फिर वो भी
कहीं न कहीं उग्र हो जाती है। पेड़ कट रहे है, पहाड़, नदियां खत्म होते जा रहे है, सिमटती जा रही है या फिर कहीं बाढ़
ही आ रही है और मौसम बेमौसम हुआ पड़ा है। जब सर्दी चाहिए तो गर्मी है और जब गर्मी चाहिए तो सर्दी है। ये सारे
बदलाव संकेत देते है कि आदमी खासकर आदमी कहीं न कहीं इसका जिम्मेदार है। चाहे तो वो पॉल्यूशन कर रहा है,
प्रदूषण फैला रहा है, चाहे वो पेड़-पौधे काट रहा है, चाहे वो पहाड़ों की कटिंग कर रहा है, खात्मा कर रहा है, तो ये खुद
मुख्तार इंसान आज जिम्मेदार इंसान इस जिम्मेदारी से हटकर प्रकृति के नाश करने में लगा है। पूज्य गुरु जी ने
कहा कि बड़ा डर लगता है कि कहीं प्रकृति उग्र रूप धारण करके प्रलय-महाप्रलय ना ले आए। क्योंकि रामजी, ओउम,
हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड,खुदा, रब्ब ने उस ओउम परम पिता परमात्मा ने बैलेंस बनाने के लिए तथा सृष्टि का
बैलेंस बना रहे, तालमेल बना रहे, हर चीज बनाई है। एक भी ऐसी चीज नहीं जिससे आप ये कहें कि ये फालतू की
चीज है। ये आपका भ्रम हो सकता है, अज्ञान हो सकता है, लेकिन परम पिता परमात्मा ने जो कुछ भी बनाया है, जो
वो बना रहा है, जो कुछ किया, जो कर रहा है, वो सब सोच समझ के करता है ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम। जो
भगवान करता है वो सही करता है, लेकिन आदमी समझता नहीं। अंधाधुंध पेड़ काटे जा रहे, अंधाधुंध पहाड़ों का
खात्मा किए जा रहा है, अंधाधुंध घर बनते जा रहे है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि पहले संयुक्त परिवार होते थे, तो
नैचुरली एक घर में चार भाई होते थे, तो चारों भाइयों का परिवार रह लेता था। लेकिन आज दो भाई है वो भी अलग-
अलग। एक का घर अलग और दूसरे का अलग। जिस प्रकार हम आपको गाडिय़ों का बता रहे थे, वैसे ही घरों का
सिलसिला चला हुआ है। जंगल कट रहे है, खनन हो रही है। हम रोक देंगे, हम ये कर देंगे, हम वो कर देंगे। जब आप
समाज वाले समझोगे, तभी रूकेगा। वरना नहीं रूकता। चाहे राजा-महाराजा कितना भी जोर लगा लें, अगर आप नहीं
हटते। देखो कई जगहों पर शराब बंदी की गई, लेकिन वो घर के चूल्हों पर ही बना रहे है देसी शराब। अब बाहर वाली
तो बंद हो गई, लेकिन घर वाली को खुद बंद करना पड़ेगा। चाय आदि के गुड़ देना पड़ता है, लेकिन इन्हें मिलाकर
लोग शराब बना लेते है। यानि सारा समाज जब जागेगा तो ही कोई राजा-महाराजा जो कहेगा उसका असर होगा।
अगर समाज नहीं जागेगा तो आपको कोई गलत कार्य से नहीं रोक सकता। पहले अपने दिमाग को समझाना पड़ेगा।
अगर ऐसा नहीं करेंगे तो इससे हमारी ही बर्बादी होने वाली है, हमारी आने वाली औलाद, हमारी आने वाली पीढिय़ा

दुखी होगी। ये सोचोगे तो पेड़-पौधे नहीं काटोंगे, खनन वगेरहा ये जो पहाड़ का खात्मा हो रहा है। प्रकृति ने किसी न
किसी वजह से इनको बनाया है। ऐसे तो नहीं। तो भाई ये बेहद जरूरी है।