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रिपोर्ट : ‘TiK ToK’ से कंटेंट हटाने की रिक्वेस्ट के मामले में भारत अव्वल

 

बेंगलुरु। शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म टिक टॉक से यूजर्स की जानकारी मांगने और कंटेंट हटाने की रिक्वेस्ट करने के मामले में भारत सबसे आगे रहा है। यह जानकारी इस सोशल मीडिया एप की पहले ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट से मिली है।

टिक टॉक का मालिकाना हक चीन की कंपनी बाइटडांस के पास है। कंपनी ने कहा कि भारत ने साल 2019 की पहली छमाही में उनके पास 107 रिक्वेस्ट भेजी। इसमें से 99 आवेदन कानूनी थे, जबकि शेष आठ आपातकाल थे। इनके जरिए कुल 143 टिकटॉक अकाउंट की जानकारी मांगी गई थी।

टिक टॉक ने कहा कि अन्य टेक कंपनियों की तरह उसे भी कई सरकारी संस्थाओं से आवेदन मिले, जिसमें सरकारी एजेंसियां और कानून नियामक शामिल रहे।

टिक टॉक ने अपने बयान में कहा, ‘इन रिक्वेट के जरिए हमसे अपने प्लेटफॉर्म से कंटेंट हटाने के लिए कहा गया क्योंकि वे वहां के कानून का उल्लंघन करते हैं या फिर उन्हें किसी जुर्म से जुड़े मामले की आपराधिक जांच जैसे कुछ निश्चित हालातों में खातों से जुड़ी जानकारी चाहिए।’

हर कानूनी रिक्वेस्ट की समीक्षा

कंपनी के बयान के मुताबिक टिकटॉक को मिलने वाली हर कानूनी रिक्वेस्ट की समीक्षा होती है। कंपनी यह भी देखती है कि क्या रिक्वेस्ट करने वाली संस्था के पास मामले से तहकीकात करने का अधिकार है या नहीं या फिर क्या उनकी जांच से किसी को नुकसान हो रहा है या नहीं।

फेसबुक पर अमेरिका आगे

कंपनी ने कहा कि इस समीक्षा के बाद सरकार के आदेशानुसार वह कंटेंट को हटाती है। टिकटॉक की ही तरह, भारत सरकार ने साल 2019 के पहले छह महीनों में टेक दिग्गज फेसबुक को 22,682 लीगर और एमर्जेंसी रिक्वेस्ट भेजी थीं। फेसबुक को रिक्वेस्ट भेजने के मामले में भारत से आगे सिर्फ अमेरिका था।

गूगल, फेसबुक और ट्विट भी पेश करती हैं रिपोर्ट

गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी वैश्विक टेक कंपनियां ऐसे ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट्स लगातार पेश करती रहती हैं, ताकि इंडस्ट्री में पारदर्शिता बनी रहे। इसमें वे कॉन्टेंट हटाने और सरकार से मिले आवेदनों की जिक्र करती हैं।

अमेरिका आया दूसरे स्थान पर

भारत के बाद रिक्वेस्ट भेजने के मामले में अमेरिका दूसरे स्थान पर रहा। अमेरिका ने 2019 की पहली छमाही में 85 रिक्वेस्ट्स भेजे। इसमें से 79 रिक्वेस्ट्स यूजर कंटेंट को एक्सेस करने और छह रिक्वेस्ट्स कंटेंट को हटाने के बारे में थे।