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सेवानिवृत्ति के समय की जाने वाली रिकवरी जीवन जीने के अधिकार के विपरीत है : विजय पाण्डेय

लखनऊ दिनांक:06.10.2021

प्रेस-नोट
सेना कोर्ट ने सेवानिवृत्ति के समय नायब सूबेदार से रिकवर धनराशि करीब पांच लाख रुपए, आठ प्रतिशत व्याज के साथ वापस करने का फैसला सुनाया
सरकार की गलतियों से हुए भुगतान के लिए सैनिक जिम्मेदार नहीं

लखनऊ, नेपाल के जनपद लामुंग के रहने वाले नायब सूबेदार नारायण बहादुर खत्री छेत्री से भारत सरकार और रक्षा-मंत्रालय द्वारा रिटायरमेंट के समय उसकी पेंशन से वसूली गयी रकम चार लाख सत्तावन हजार सात सौ पचास रूपये व्याज सहित वापस करने का आदेश, सेना कोर्ट लखनऊ के न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव एवं वाईस एडमिरल अभय रघुनाथ कार्वे की खण्ड-पीठ ने सुनाया

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छेत्री के अधिवक्ता रहे विजय कुमार पाण्डेय ने खण्ड-पीठ के सामने दलील देते हुए कहा कि याची 1992 में गोरखा रायफल में भर्ती हुआ और छब्बीस वर्ष देश की निष्ठापूर्वक सेवा करते हुए 2018 में डिस्चार्ज हुआ, लेकिन डिस्चार्ज के समय उसकी पेंशन से उपरोक्त धनराशि, बिना किसी पूर्वसूचना के गोरखा ट्रेनिंग सेंटर वाराणसी द्वारा काट ली गयी, जिसके कारण रिटायरमेंट के समय याची को लगभग खाली हाथ घर जाना पड़ा, जिसके कारण उसे पारिवारिक जीवन में शारीरिक और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा
याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने जोरदार दलील देते हुए कहा सुप्रीम कोर्ट की तीन जजेज की बेंच ने 2014 में निर्णय सुनाया है कि ग्रुप-सी और डी के कर्मचारी, सेवानिवृत्त कर्मचारी, पाच साल से अधिक समय पहले दी गयी धनराशि और सरकार की गलती से ऊँची पोस्ट की सैलरी लेने वाले नीचे के ग्रुप के कर्मचारी से रिकवरी नहीं की जा सकती, अधिवक्ता ने यह भी कहा कि याची द्वारा न तो सरकार को गुमराह किया गया और न ही इस तरह से कोई मांग ही की गयी थी, यदि यह भुगतान हुआ है तो यह सरकार की गलती से हुआ है, और लगभग चौदह वर्ष थोड़ी-थोड़ी रकम देकर रिटायरमेंट के समय लगभग खाली हाथ घर भेजना किसी भी दृष्टिकोण से न्यायोचित नहीं है
खण्ड-पीठ ने अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किये गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों, तथ्यों एवं परिस्थितियों का अवलोकन करने के बाद निर्णय सुनाया कि वादी, सेना की गलती के कारण बढ़ी हुई सैलरी और डी०ए० प्राप्त किया था, न कि उसके द्वारा इस तरह की कोई मांग की गयी थी या सरकार को गुम्र्रह किया गया था, दुसरे सेवानिवृत्ति के समय इतनी बड़ी रिकवरी जीवन जीने के मूलभूत अधिकार को प्रभावित करती है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिकवरी के मामलों में गाईडलाईन बनाई, जो अनुच्छेद 141 के तहत संपूर्ण भारत के न्यायालयों पर समान रूप से बाध्यकारी है, इसलिए वादी से रिकवर की गयी धनराशि आठ प्रतिशत व्याज के साथ सरकार वापस करे, यदि चार महीने के अंदर यह धनराशि भारत सरकार द्वारा वापस न की गयी तो उसे इस पर आठ प्रतिशत अतिरिक्त व्याज भी याची को देना होगा l

(विजय कुमार पाण्डेय) एडवोकेट 9415463326