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देश में बढ़ सकता है बिजली संकट

कोयले की कमी से अभी भी कई राज्यों में बिजली संकट बरकरार है। फिलहाल पूरे देश में केवल सात दिनों का कोयला इस्तेमाल के लायक बचा हुआ है। 173 बिजली संयंत्रों में से 97 में सात दिनों से भी कम का कोयला बचा है। जबकि करीब 50 संयंत्र ऐसे हैं जहां चार दिनों से भी कम का भंडार है। वहीं कुछ संयंत्र ऐसे भी हैं, जहां कोयला लगभग समाप्त हो गया है। खराब हालात को देखते हुए कोयला मंत्रालय भी एक्शन में आ गया है। मंत्रालय ने राज्य सरकारों और बिजली उत्पादन कंपनियों को मानसून शुरू होने से पहले कोयले का आयात पूरा करने का निर्देश दिया है।

कोयला मंत्रालय ने बिजली उत्पादन कंपनियों को आगाह किया है कि अगर उन्होंने इस महीने के अंत तक स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कोयले की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु इसमें 10 फीसदी मिश्रण (ब्लेंडिंग) के लिए कोयले का आयात नहीं किया, तो यह सीमा बढ़ाकर 15 फीसदी कर दी जाएगी। मंत्रालय का यह आदेश केंद्र, राज्य और स्वतंत्र बिजली उत्पादकों/निजी इकाइयों के लिए लागू होगा। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अगर देश में उपलब्ध कोयले में ब्लेंडिंग 15 जून तक शुरू नहीं हुई, तो इसमें चूक करने वाले ताप बिजली संयंत्रों के लिए स्थानीय कोयले का आवंटन पांच फीसदी और घटा दिया जाएगा।

केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने भी राज्य सरकारों को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि राज्यों को अपनी बिजली उत्पाद कंपनियों को मिश्रण के लिए कोयला आयात करने की दिशा में तत्काल कदम उठाने के निर्देश देने चाहिए। सिंह ने अपने पत्र में कहा कि बिजली की मांग और खपत में बढ़ोतरी के बाद कोयले से बिजली उत्पादन बढ़ गया है। बिजली संयंत्रों में अब कोयले की अधिक खपत हो रही है। बिजली संयंत्रों के लिए उपलब्ध कोयला पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। मानसून से पहले कोयले का न्यूनतम आवश्यक भंडार सुनिश्चित करने के लिए बिजली संयंत्रों को सभी संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए। बिजली मंत्रालय ने सभी बिजली उत्पादक कंपनियों को अक्तूबर 2022 तक अपने बिजली संयंत्रों में कोयले का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित करने के लिए कहा है। पिछले सप्ताह मंत्रालय ने आयातित कोयले से चलने वाले सभी बिजली संयंत्रों को परिचालन शुरू करने का आदेश दिया था। मगर मंत्रालय ने कहा कि मिश्रण के लिए राज्यों द्वारा कोयले का आयात पर्याप्त नहीं है।