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पेरैंट्स किशोरावस्था में बच्चों में होने वाले इन बदलाव को समझें

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किशोरावस्था ऐसी अवस्था होती है जिसमें बच्चों को संभाल पाना पेरैंट्स के लिए काफी मुश्किल होता है. टीनएज में बच्चों के अंदर ऐसे बदलाव होते हैं जिन्हें कभी-कभी वे खुद समझ नहीं पाते. इस बदलाव से गुजरते समय वे कई तरह की मानसिक द्वंद्वों से गुजरते हैं. शरीर में होने वाले परिवर्तनों से कारण वे कई  बार तालमेल नहीं बिठा पाते और व्यवहारगत परेशानी से जूझने लगते हैं. ऐसे में मां-बाप की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. एक शोध के अनुसार किशोरावस्था (12-19 वर्ष) के दौरान बच्चों को शारीरिक परिवर्तनों से जुड़ी शिक्षा देना बहुत जरूरी है.

शारीरिक परिवर्तन

किशोरावस्था में युवाओं में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं. जैसे लड़कियों में मासिक धर्म का शुरू होना. लड़कों में आवाज बदलना,  चेहरे पर मूंछ-दाड़ी निकलना. इन परिवर्तनों से बच्चे परेशान हो जाते हैं. वे समझ न हीं पाते कि अचानक से उनके अंदर ये बदलाव क्यों हो रहे  हैं. इनके बारे में वे माता-पिता से भी खुलकर बोल नहीं पाते. ऐसे समय में पेरैंट्स को बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है.

मानसिक बदलाव

टीनएज बच्चे मानसिक बदलाव से भी गुजरते हैं. ये मानिसक परिवर्तन हार्मोनल और न्यूरोडेवलपमेंटल चेंज की वजह से होते हैं. बच्चे अपने  से जुड़े निर्णय खुद लेने लगते हैं. जिसकी वजह से कई बार वे माता-पिता की बातों को भी नहीं सुनते और उनके बीच टकराव की स्थिति  पैदा हो जाती है. ऐसे समय में माता-पिता को बच्चों को समझने की जरूरत है.

करियर को लेकर स्ट्रैस

इस अवस्था में युवाओं के अंदर शारीरिक-मानसिक बदलाव तो होते ही हैं, साथ ही वे अपने करियर को लेकर भी परेशान रहने लगते हैं. वे  इस बात से चिंतित रहते हैं कि भविषय में उन्हें क्या करना है. वे इन प्रैशर्स को नहीं  ले पाते जिससे वे तनाव महसूस करते हैं.  नतीजा  यह होता है कि वे गुस्सैल और चिड़चिड़े होने लगते हैं. पेरैंट्स को बच्चों में होने वाले इस परिवर्तन को समझना चाहिए.  

कामुकता की भावना का विकास

किशोराअवस्था में बच्चों के अंदर कामुकता की भावना का विकास होने लगता है. वे इस बदलाव को समझ नहीं पाते. इसलिए जरूरी है कि  माता-पिता बच्चों को बढ़ती उम्र के साथ सैक्क्स जुड़ी शिक्षाप्रद बातें जरूर बताएं.

बुरी संगत

बच्चे जैसे-जैसे बड़े होने लगते उनका दोस्तों के साथ उठना-बैठना बढ़ने लगता है. इस दौरान वे अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोगों से  मिलते हैं.ऐसे समय में उनकी दोस्ती अगर गलत संगत में पड़े बच्चों से हो जाए तो बच्चा स्मोकिंग और ड्रिकिंग जैसी गलत आदतों का शिकार हो सकता है. इस दौरान माता-पिता को बच्चों की संगत पर भी ध्यान देने के साथ-साथ धैर्य से उनकी इस अवस्था को समझना जरूरी है.

Source : palpalindia
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