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ऑक्सफोर्ड ने किया ये बड़ा दावा, बंदरों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कामयाब

दुनिया भर में लाखों की जान लेने वाले कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए लगभग हर देश काम में जुटा हुआ है। इसी बीच एक अच्छी जानकारी सामने आई है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वह कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के और करीब पहुंच गए हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के जानवरों पर किए गए परीक्षण के नतीजे प्रकाशित किए हैं जो बेहद उत्साहवर्धक हैं। 

जानकारी के अनुसार चैडॉक्स-1 वैक्सीन फेफड़ों को नुकसान पहुंचने से रोकने में असरदार साबित हुई है। इसके अलावा, इम्यून सिस्टम से संबंधित किसी बीमारी के पनपने का संकेत भी नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस की हाई डोज से 6 बंदरों को संक्रमित किया गया था।

High hopes for Covid-19 vaccine developed by Oxford scientists

13 मई को चैडॉक्स वैक्सीन का इंसानों पर भी क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है। वेक्सीन के इस अहम ट्रायल में लगभग 1000 वॉलंटियर्स ने हिस्सा लिया है। तमाम विश्लेषकों ने वैक्सीन पर आए नतीजों को लेकर खुशी जताई है और कहा है कि इंसानों पर भी ट्रायल तेज गति से आगे बढ़ रहा है। 

इस बारे में जानकारी देते हुए लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन ऐंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में फार्मा को-एपिडेमोलॉजी के प्रोफेसर स्टीफेन इवान्स ने बताया, इस स्टडी के नतीजों ने उम्मीद ओर बड़ाई है। इस स्टडी की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वायरल लोड और न्यूमोनिया के खिलाफ वैक्सीन के असरदार होने के साथ-साथ इम्यूनजनित किसी बीमारी का संकेत नहीं मिला है, जबकि अधिकतर वैक्सीन के साथ ये चिंता जुड़ी रहती है। 

किंग्स कॉलेज लंदन के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. पेनी वार्ड ने बताया, ये देखना अच्छा है कि बंदरों पर कोरोना की वैक्सीन के परीक्षण के दौरान फेफड़ों में किसी अन्य बीमारी का सबूत नहीं मिला है। सार्स की वैक्सीन के दौरान अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में संक्रमण के कुछ सबूत मिले थे लेकिन बंदरों को दी गई वैक्सीन के बाद न्यूमोनिया का कोई संकेत नहीं मिला है। 

Coronavirus vaccine latest news / COVID-19 vaccine status update ...

वहीँ वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू होने के बावजूद अमेरिका और यूके में जानवरों पर ट्रायल किये जा रहे हैं। वैज्ञानिक इस बात की पुष्टि करना चाहते हैं कि कोरोना के खिलाफ वैक्सीन पूरी तरह स काम करती है या नहीं और क्या इसके साइड इफेक्ट होने की भी कोई गुंजाइश है। 

अब सवाल ये उठता है कि क्या जानवरों पर किए गए ट्रायल के नतीजे क्या इंसानों पर भी वैसे ही लागू होंगे? इसका जवाब देते हुए प्रोफेसर इवान ने कहा, हम निश्चित रूप से ये नहीं कह सकते हैं और इसीलिए ट्रायल करने की जरूरत है। इंसानों पर ट्रायल किए जा रहे हैं। हालांकि, जानवरों पर हुए परीक्षण के नतीजे उत्साहवर्धक हैं और वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए उम्मीद जगा रहे हैं। 

उन्होंने कहा, अगर स्टडी के नतीजे नकारात्मक आते तो वैक्सीन के इंसानों पर हो रहे ट्रायल में मुश्किलें आतीं, लेकिन अब वैज्ञानिक इंसानों पर क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में हैं और वैक्सीन को लेकर आशान्वित हैं।