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निर्भया के दोषी मुकेश ने फांसी से बचने के लिए चला अब तक का सबसे बड़ा दांव

 

नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषी मुकेश की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने फांसी की सजा रद्द किए जाने की मांग से जुड़ी उसकी याचिका को खारिज कर दिया। मुकेश ने याचिका दायर कर कहा था कि वो घटना वाले दिन दिल्ली में नहीं था।

मुकेश के वकील मनोहर लाल शर्मा ने याचिका दायर कर कहा था कि मुकेश को 17 दिसम्बर,2012 को राजस्थान में गिरफ्तार किया गया था। सुनवाई के दौरान मनोहर लाल शर्मा ने साक्ष्य अधिनियम की धारा 44 का हवाला दिया था। कोर्ट ने पूछा था कि क्या आपका वकालतनामा है, तब मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि हां। मनोहर लाल शर्मा ने कहा था कि मुकेश को गिरफ्तार करने का मूल दस्तावेज नहीं दाखिल किया गया और न ही समय का उल्लेख किया गया। मनोहर लाल शर्मा ने कहा था कि मुकेश को राजस्थान के करौली से 17 दिसम्बर को गिरफ्तार किया गया और बाद में समय 16 दिसम्बर का डाल दिया गया। मनोहर लाल शर्मा ने कहा था कि ट्रायल पूरा हो चुका है और अगर कोई आदेश लेने के लिए कुछ छिपाया गया तो उस आदेश को निरस्त करना चाहिए। पुलिस ने पूरे मामले में फर्जीवाड़ा किया और मुकेश को झूठे तरीके से फंसाया गया। तब कोर्ट ने कहा था कि हम कानून के किस प्रावधान के तहत आपको राहत दें। तब मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 44 के तहत।

सरकारी वकील ने मनोहर लाल शर्मा की दलीलों का विरोध करते हुए कहा था कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। ये फांसी में देरी करवाने का एक तरीका है। कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट ने मुकेश के करोली से गिरफ्तारी की बात खारिज कर दी थी। तब सरकारी वकील ने कहा था कि इस कोर्ट को अपीलीय क्षेत्राधिकार नहीं है। मनोहर लाल शर्मा ने कहा था कि मुकेश को करोली से गिरफ्तार करने की बात सब-इंस्पेक्टर अरविंद ने अपनी गवाही में कबूल किया था लेकिन अभियोजन ने इस बात को छिपाया था।

याचिका में कहा गया था कि उसकी मौत की सजा को निरस्त किया जाए। याचिका में कहा गया था कि जेल में उसे प्रताड़ित किया गया। उल्लेखनीय है कि निर्भया के चारों दोषियों को 20 मार्च को फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी किया गया है।