नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी की केंद्र की याचिका पर 5 मार्च तक के लिए सुनवाई टाल दी है। चारों दोषियों को 3 मार्च का फांसी का डेथ वारंट है। अगर उस रोज फांसी हो गई तो केंद्र की इस अर्जी पर सुनवाई करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इससे पहले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि हाई कोर्ट की ओर से तय सात दिन की समय सीमा बीतने के बावजूद चौथे दोषी पवन ने अभी तक अपना बाकी कानूनी विकल्प नहीं आजमाया है। यह देरी जान-बूझकर की जा रही है। मेहता ने कहा था कि कोर्ट से स्पष्ट करे कि क्या एक दोषी की दया याचिका लंबित होने की दशा में सभी अभियुक्तों को फांसी देने में बाधा आ सकती है। कोर्ट ने कहा था कि इस पर हमें लंबी सुनवाई करनी होगी और इससे फांसी की सजा देने में देर हो सकती है।
कोर्ट ने सुझाव दिया था कि अभी दोषियों की कोई याचिका लंबित नहीं है, इसलिए ट्रायल कोर्ट में डेथ वारंट जारी करने के लिए रुख किया जा सकता है। उसके बाद तिहाड़ जेल ने पटियाला हाउस कोर्ट में नये डेथ वारंट के लिए याचिका दायर की। तिहाड़ जेल की याचिका पर सुनवाई करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट ने 3 मार्च को फांसी देने का आदेश दिया है।