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राष्ट्रीय दुग्ध दिवस : वर्गीज कुरियन की एक पहल से बदल गई भारत की तस्वीर

 

 

भारतीय श्वेत क्रान्ति के जनक डाॅ. वर्गीज कुरियन के 98वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार 26 नवंबर को देश भर में राष्ट्रीय दूध दिवस का आयोजन किया जा रहा है। डाॅ. वर्गीज कुरियन ने दूध की कमी से जूझने वाले देश को दुनिया का सर्वाधिक दूध उत्पादक देश बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। उनका जन्म केरल के कोझिकोड में 26 नवंबर 1921 को हुआ था। भारत में उनके जन्मदिन को नेशनल मिल्क डे के रूप में मनाया जाता है और इसकी शुरुआत साल 2014 में की गई थी।

उन्हें भारत के ऑपरेशन फ्लड की वजह से जाना जाता है। कुरियन की अगुवाई में चले ‘ऑपरेशन फ्लड’ के बलबूते ही भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना। बता दें कि भारत का ऑपरेश्न फ्लड दुनिया का सबसे बड़ा डेरी डवलमेंट प्रोग्राम था, जिसे भारत में दूध उत्पादन को बढ़ावा मिला। अगर जमीनी स्तर पर देखें तो कुरियन की ये उपलब्धि दूध का उत्पादन बढ़ाने से कहीं ज्यादा है.

ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम 1970 में शुरू हुआ था। ऑपरेशन फ्लड ने डेरी उद्योग से जुड़े किसानों को उनके विकास को स्वयं दिशा देने में सहायता दी, उनके संसाधनों का कंट्रोल उनके हाथों में दिया। राष्ट्रीय दुग्ध ग्रिड देश के दूध उत्पादकों को 700 से अधिक शहरों और नगरों के उपभोक्ताओं से जोड़ता है। उन्होंने ही अमूल की स्थापना की थी।

कैसे हुई अमूल की शुरुआत

उनका सपना था-देश को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर करने के साथ ही किसानों की दशा सुधारना। उन्होंने त्रिभुवन भाई पटेल के साथ मिलकर खेड़ा जिला सहकारी समिति शुरू की। साल 1949 में उन्‍होंने गुजरात में दो गांवों को सदस्य बनाकर डेयरी सहकारिता संघ की स्थापना की। भैंस के दूध से पाउडर का निर्माण करने वाले कुरियन दुनिया के पहले व्यक्ति थे। इससे पहले गाय के दूध से पाउडर का निर्माण किया जाता था।

अमूल की सफलता पर तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को दूसरी जगहों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) का गठन किया और उन्हें बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। एनडीडीबी ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरुआत की जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया। कुरियन ने 1965 से 1998 तक 33 साल एनडीडीबी के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दीं। वे 1973 से 2006 तक गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड के प्रमुख और 1979 से 2006 तक इंस्टीट्‍यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट के अध्यक्ष रहे।

उन्‍हें भारत सरकार ने 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। साथ ही उन्‍हें 1993 में अमेरिका के इंटरनेशनल पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया। 1989 में वर्ल्‍ड फूड प्राइज, 1966 में पद्म भूषण, 1965 में पद्म श्री, 1963 में रैमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी नवाजा गया।