Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

दिव्यांगों और बुजुर्गों की सेवा करना मेरा सौभाग्य : नरेन्द्र मोदी

 

प्रधानमंत्री ने संगम नगरी से दिया सामाजिक अधिकारिता का संदेश

प्रयागराज। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संगम नगरी से सामाजिक अधिकारिता का संदेश दिया। भावनात्मक लहजे में उन्होंने कहा कि दिव्यांग जनों और बुजुर्गों की सेवा करना मेरा सौभाग्य है। कुम्भ के दौरान सफाई कर्मियों के पांव पखारने की घटना को भी अपने सौभाग्य से जोड़ा। तीर्थराज प्रयाग की महिमा का भी वर्णन किया। करीब आधे घंटे के संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी राजनीति पर एक शब्द भी नहीं बोले।

कुल डेढ़ घंटे के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने हर मिनट को सामाजिक सरोकार से जोड़ने की कोशिश की। मंच पर आने से पहले वह दिव्यांगों और बुजुर्गों से मिलने पहुंच गये और सभी के पास पहुंचकर उनका हाल चाल लिया। इसके लिए करीब तीन सौ लाभार्थियों को अलग से बैठाया गया था।

इस मुलाकात के दौरान मोदी ने एक सात साल के छोटे दिव्यांग बच्चे कुनाल के गाल को चूमकर उसे अपनी सहृदयता का अहसास भी कराया। लाभार्थियों को उपकरण देते वक्त दोनों आंखों से अंधा युवा विवेक त्रिपाठी जब मोदी के पास पहुंचा तो प्रधानमंत्री की सहजता देख शायद वह अपने को भूल बैठा। इस अंधे युवा को उपकरण के रुप में स्मार्ट फोन मिला था। प्रधानमंत्री भी आश्चर्यचकित थे जब यह युवा अपने स्मार्ट फोन को उनके सामने ही संचालित करने लगा। उसने मोदी के साथ उसी फोन से सेल्फी भी ली।

लाभार्थियों से मिलते वक्त कुछ दिव्यांगों और वृद्धों ने प्रधानमंत्री को अपनी समस्याओं के संबंध में प्रार्थना पत्र भी दिया। मोदी ने भी बड़ी सहजता के साथ उनकी समस्याओं को देखने का आश्वासन दिया। इस दौरान बहादुरपुर ब्लाक की एक दिव्यांग महिला शालिनी विश्वकर्मा ने दिव्यांगों के रोजगार के लिए प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी दिया।

पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी अपने को दिव्यांगों और वृद्धजनों से भावनात्मक रुप से जोड़ते दिखे। अपने भाषण में कहा कि दिव्यांगों और वृद्धों का प्रत्येक पल हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। उन्होंने दिव्यांगों के हौसलों की भी सराहना की। इस दौरान संस्कृत का एक श्लोक बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारे यहां कहा जाता है- ‘‘स्वस्तिः प्रजाभ्यः परिपालयंतां. न्यायेन मार्गेण महीं महीशाः!’’ इसका अर्थ भी बताया ‘‘सरकार का यह दायित्व है कि हर व्यक्ति का भला हो, हर व्यक्ति को न्याय मिले।’’ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इसी सोच के साथ ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’’ के मंत्र पर काम कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर दिव्यांगजनों और बुजुर्गों के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरु की गई विभिन्न योजनाओं के बारे में भी विस्तार से बताया। कहा कि पहले दिव्यांगों को दफ्तरों का चक्कर लगाना पड़ता था, लेकिन पिछले छह साल से उनकी सरकार ने काफी सहूलियतें उपलब्ध कराई है। सरकारी इमारतों में जाने के लिए दिव्यांगों को जो दिक्कत होती थी, उसे सुगम्य बनाया गया। देश के सात सौ से अधिक रेलवे स्टेशन और एअरपोर्ट भी दिव्यांगों के लिए सुगम बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा नई इमारतों में पहले से ही ध्यान रखा जा रहा है कि दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल हों। उन्होंने बताया कि दिव्यांगों की सुविधा के लिए पूरे देश में पांच साल में नौ हजार कैंप लगाए गये, जिनमें 900 करोड़ रुपये से अधिक के उपकरण बांटे गये।

कुम्भ की घटना को भी सौभाग्य से जोड़ा

प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधन के दौरान पिछले वर्ष प्रयागराज में आयोजित कुम्भ की उस घटना को भी याद किया, जिसमें उन्होंने सफाईकर्मियों का पांव पखारा था। उन्होंने इस अवसर को भी अपना सौभाग्य बताया। कहा कि सफाईकर्मियों की मेहनत से ही कुम्भ की स्वच्छता का संदेश पूरी दुनिया में गया था। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे महान सिद्धि को पाने वाले उन सफाई कर्मचारियों को नमन करने का अवसर मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी।’’ तीर्थराज प्रयाग की महिमा का बखान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां आकर हमेशा ही एक अलग पवित्रता और ऊर्जा का एहसास होता है। अपने को सबका प्रधान सेवक बताते हुए मोदी ने कहा, ‘‘आज एक बार फिर प्रयागराज की पवित्र धरती पर मुझे हजारों दिव्यांग-जनों और बुजुर्गों की सेवा करने का अवसर मिला है। यह भी मेरा सौभाग्य है।’’