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रोजा तोड़ इस शख्स ने बचाई हिंदू युवक की जान, खून दे बोला- इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं हो सकता

यूं तो सभी जानते हैं कि इस समय रमजान का पाक महीना चल रहा है. इस महीने में रोजेदारों पर खुदा की रहमत बरसती है. इसलिये रोजेदार पूरे दिन बिना पानी केही रोजा रखकर खुदा की इबादत करता है. जब रोजेदार के सामने इंसानियत परेशान हो तो वह कुछ भी करने को तैयार हो जाता है. ऐसा ही एक मामला नैनीताल में देखने को मिला. जहां पर मोहल्ला आलापुर निवासी असलम ने वो मिसाल पेश की, जिसे इंसानियत कहते हैं. असलम ने अपना रोजा तोड़ते हुए कोटाबाग के रमेश शाह के लिए रक्तदान किया. इस बात का जिक्र शहर में जिसने भी सुना, उसने युवक की दिल खोलकर तारीफ की.

रोजा तोड़ किया रक्तदान

मोहल्ला आलापुर निवासी असलम अली (40) ने रविवार को अपने परिचित कोटाबाग (नैनीताल) निवासी बीमारी से ग्रस्त रमेश शाह को चकरपुर रोड स्थित पांडे अस्पताल में ऑपरेशन के लिए भर्ती कराया था. रमेश की आंत का ऑपरेशन होना था.

बी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप की थी जरूरत

सोमवार को रमेश को दो यूनिट रक्त (बी पॉजिटिव) की जरूरत पड़ी. रिश्तेदारों सहित कई जगह बात करने पर एक रिश्तेदार ने एक यूनिट रक्तदान तो कर दिया, लेकिन एक यूनिट खून की जरूरत और पड़ रही थी, जिसका इंतजाम नहीं हो पाने से परिजन परेशान थे.

इधर, शहर के एक शोरूम में काम करने वाले असलम अली को जब यह बात पता चली तो वह शोरूम मालिक से छुट्टी लेकर रक्तदान के लिए आननफानन में अस्पताल के ब्लड बैंक परिसर में पहुंच गए. उन्होंने डॉक्टर को बताया कि उनका ब्लड ग्रुप भी बी पॉजिटिव है.

असलम रखते हैं रोजा

यहां बता दें कि असलम रमजान में पूरे रोजे रखते हैं और सोमवार को भी उनका रोजा था, लेकिन असलम ने इंसानियत को तवज्जो देते हुए अपना रोजा तोड़कर रक्तदान किया. एक मुसलमान को अपने परिजन के लिए रमजान होने के बावजूद रक्तदान करता देख रमेश के परिजनों की आंखें कृतज्ञता से डबडबा गईं.