Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

पुण्यतिथि: बॉलीवुड के सुरों के सरताज मोहम्मद रफी कभी गानों के लिये लेते थे 1 रुपये

हिंदी सिनेमा में 4 दशकों तक अपनी आवाज से लोगों के दिलों में घर करने वाले प्लेबैक सिंगर मोहम्मद रफी की आज 31वीं पुण्यतिथि है. उन्होंने 31 जुलाई 1980 को इस दुनिया को अलविदा कहा था. अपनी गायकी से सबके दिलों पर राज़ करने वाले मोहम्मद रफी साहब की आज पुण्यतिथि है. उन्हें शहंशाह-ए-तरन्नुम भी कहा जाता था.तो चलिए आपको फिल्म इंडस्ट्री के महान गायक मुहम्मद रफी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से बताते हैं.

मोहम्मद रफी के अनसुने किस्से

#बहुत ही कम लोग इस बात को जानते हैं कि मधुर आवाज के धनी मोहम्मद रफी को प्यार से लोग ‘फेकू’ कहकर बुलाते थे.

#कहा जाता है कि रफी साहब ने अपने गांव में फकीर के गानों की नकल करते-करते गाना गाना सीखा था. मोहम्मद रफी ने अपनी पहली परफॉर्मेंस बतौर गायक 13 साल की उम्र में दी थी. के एल सहगल ने उन्हें लाहौर में एक कंसर्ट में गाने की अनुमति दी थी.

#साल 1948 में मुहम्मद रफी ने राजेन्द्र कृष्णन द्वारा लिखा हुआ गीत ‘सुन सुनो आए दुनिया वालों बापूजी की अमर कहानी’ गाया था. यह गाना देखते ही देखने इतना बड़ा हिट हो गया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें अपने घर पर यह गाना गाने के लिए निमंत्रण दिया था.

#मोहम्मद रफी ने ज्यादातर गाने संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए गाए. उन्होंने उनकी फिल्मों के लिए करीब 369 गाने गाए थे जिसमें से 186 गाने सोलो शामिल हैं. यहां तक कि रफी ने आखिरी गाना भी इन्हीं के लिए गाया था. वह गाना था – ‘श्याम फिर क्यों फिर उदास’. इस फिल्म का नाम ‘आस पास’ है.

#कहा जाता है कि रफी साहब किसी भी संगीतकार से यह नहीं पूछते थे कि उन्हें गाना गाने के लिए कितना पैसा देंगे. यहां तक कि कभी कभी सिर्फ 1 रुपए में भी कई फिल्मों में गाना गाया है.