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विषय विकारों पर कंट्रोल पाना भी सीखे मुरीद: पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां

बरनावा

यूपी के शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से पूज्य गुरु
संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने वीरवार को ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से रूहानी सत्संग
फरमाया। इस अवसर पर देश-विदेश की साध-संगत ने ऑनलाइन ही पूज्य गुरु जी के अनमोल वचनों को श्रवण
कर खुशियों से सराबोर हुई। पूज्य गुरु जी ने रूहानी सत्संग फरमाते हुए फरमाया कि जब आदमी ओम हरि,
अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब से जुड़ जाता है या कोई उसका मुरीद कहलाता है तो उसके लिए जरूरी होता है कि
वो काम-वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, मन और माया पर कंट्रोल करना भी सीख लें। पता नहीं इनमें से कौन
सा चोर कब दांव लगा जाए और आपके श्चासों रूपी पुंजी को लूट कर ले जाए। पूज्य गुरु जी ने आगे इनको कंट्रोल
करने के तरीकों के बारे में बताते हुए
कहा कि इन चीजों को मुख्य रूप से जो कंट्रोल करने की पावर है वो सबके अंदर रहती है। वो पावर है आत्मबल,
विल पॉवर। उस आत्मबल से आप उन तमाम विचारों को, तमाम बुरे ख्यालों को बदल कर असीम शांति हासिल
कर सकते है। पीस ऑफ  माइंड यानी दिमाग की शांति जहां पर होगी, सफलता उसके कदम जरूर चूमती है।
हर किसी का जिंदगी जीने का मकसद और उद्देश्य जरूर होता है। उसको अचीव करना, उस तक पहुंचना है,

लेकिन उस तक पहुंचने के लिए कभी भी इंसान को ऐसे कर्म नहीं करने चाहिए, जिन्हें पाप-गुनाह कहा जाता है।
क्योंकि अगर वो कर्म करके आप अपना लक्ष्य अचीव कर भी लेंगे तो आपके माइंड में शांति नहीं रहेगी। अमन चैन
आपके अंदर से खो जाएगा तथा बैचेनी का आलम हो जाएगा। हालांकि पैसा आप कमा लेंगे, लेकिन आत्मिक
शांति, चैन व तंदुरुस्ती गवा दंगे। इसलिए अपने बारे में सिर्फ  ये सोचो कि आपने एक निशाना बनाया है, उसको
पूरा करना है। हर किसी के अपने-अपने निशाने होते है। बच्चों में कोई टीचर ही बनना चाहेगा, कोई डॉक्टर ही
बनना चाहेगा, इसी तरह कोई इंजीनियर, लेक्चरर, साइंटिस्ट बनना चाहेगा, वो उनका ऐम बनाके चले तो ज्यादा
बेहतर है। जनरल नॉलेज उसी चीज का ज्यादा रखे तो ज्यादा बेहतर है।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इंसान का दिमाग सुपर कम्प्यूटर को बनाने वाला है, बहुत पावरफुल है। लेकिन
जिसको इसे चलाना आ जाए और जो इसका सही इस्तेमाल करता है वो यकीन मानिए हमेशा बुलंदियां छूता रहता
है तथा मंजिले उसकी तरफ  बढ़ी चली आती है। जो इंसान ये चीज नहीं करते उनके मुश्किले आनी शुरू हो जाती है।
ऐम लेस जिंदगी, उद्देश्यहीन जिंदगी कोई जिंदगी नहीं होती। पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि उद्देश्य तो बुरे
भी होते है, कुछ उन्हें भी अपना ऐम बना लेते है और कहता है कि मैं यह अचीव करूंगा। ये नहीं होना चाहिए।
इसलिए कर्म योगी के साथ इंसान को ज्ञानयोगी पहले जरूर होना चाहिए। इसलिए जो आप
कर्म करने लगे तो आप को पता होना चाहिए इस कर्म का मतलब क्या है। गृहस्थ जिदंगी में जब आप जी रहे है,
बचपन में जी रहे है, जवानी में जी रहे है, ब्रह्मचर्य में जी रहे है तो ये चीजे लाजमी होती है। सभी को ऐम बनाकर
चलना चाहिए। हंसना, खेलना कोई बुरी बात नहीं है, अच्छा है, इससे आपको आपका ऐम जल्दी मिलेगा। क्योंकि
दिमाग फ्रेश रहता है। हमेशा एक-दूसरे को खुश होकर मिलना चाहिए। इससे थकावट आधी रह जाती है। शरीर में
कोई परेशानी है तो कोई टेंशन नहीं लेनी चाहिए। बल्कि आत्मबल, विल पावर को बूस्ट करों तो सोचो की मैने
अपनी जिंदगी मालिक को सौंप दी है आगे वो जाने और उसका काम जाने।
पूज्य गुरु जी ने कहा कि इंसान को हमेशा खुश और मुस्कुराते हुए रहना चाहिए। क्या यह गृहस्थ जिदंगी में संभव
है? यहां कलह क्लेश कब शुरू हो जाए, पता ही नहीं चलता, दाल रोटी के लिए झगड़ा, कपड़े लत्ते के लिए झगड़ा,
बाल बच्चे के पीछे झगड़ा और सबसे बड़ा झगड़ा ईगो का झगड़ा है। जिससे झगड़े शुरू हो जाते है। इसलिए गृहस्थ
जिंदगी को दूसरे शब्दों में समझौता भी कहते है। आज के समय में अगर एक गुस्से में है तो दूसरे को चाहिए कि वो
शांतमय तरीके से उसकी बात सुन लें और उसे पानी पिलाए और जब वह ठंडा हो जाए तो उससे बात करें और उसे
समझाए। अगर दोनों ही भड़क गए तो लड़ाई-झगड़े और ज्यादा बढ़ता है। जिस प्रकार दो तारों को आपस में टकरा
दें तो चिंगारी निकलती है और चिंगारी घर को तबाह कर देती है। क्योंकि गुस्से में आदमी को खुद ही पता नहीं
चलता कि वह क्या बोल गया। इसलिए कंट्रोल करना सीखों। जब इंसान उत्तेजना की ओर जाता है तो सिमरन करें
और पानी जरूर पिए। यकीन मानों ऐसा करने से 50 परसेंट कंट्रोल उसी समय आ जाएगा।

पूज्य गुरु जी ने कहा कि इंसान को गृहस्थ जिदंगी जीते समय समाज व परिवार का ख्याल रखना चाहिए और
सबसे पहले इंसान को अपने बुजुर्गों का सत्कार करना सीखना चाहिए और बुजुर्गों को भी अपने बच्चों के सिर पर
प्यार से हाथ रखना सीखना चाहिए। पूज्य गुरु जी ने कहा कि हमने भी मुहिम चलाई है कि सुबह उठकर अपने
बुजुर्गों के पैरों के हाथ लगाना है और बुजुर्गों ने अपने बच्चों को आशीर्वाद देना है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि हमें
बहुत खुशी है कि साध-संगत निरंतर ऐसा कर रही है। इससे परिवार में और आपस के प्रेम में बहुत परिवर्तन आया
है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि यह हमारी संस्कृति है, सभ्यता है और यहीं गृहस्थ जिंदगी का एक अंग भी है। काश!
समाज में भी ऐसा हो जाए तो कहना ही क्या। यह सब गृहस्थ जिदंगी की चर्चा है जो पवित्र वेदों में भी बताई गई है।
झगड़े तब होते है जब ईगो अड़ जाती है
पूज्य गुरु जी ने कहा कि आदमी भगवान तो है नहीं, इसलिए कमियां तो सब में होती है। इसलिए छोटी-छोटी बातों
पर झगड़ा नहीं करना चाहिए। ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब में कोई कमी नहीं होती, सतगुरु में
कोई कमी नहीं होती। इसलिए अमल करना जरूरी है। अगर जीवन में सुख चाहते हो तो जिंदगी जीने का ढंग सिख
लो। अगर कोई अकेला रहना चाहता है, ब्रह्मचर्य में रहना चाहता है तो उसको गृहस्थ जिंदगी में पडऩा ही नहीं
चाहिए। काम-वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, मन, माया उसके नजदीक नहीं फटकनी चाहिए। जो बचपन से
संयम रखते है वो घर-परिवार को सुखी रखते है और समाज को सुखी रखते है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि  कभी भी
किसी बात का गलत अर्थ नहीं निकालना चाहिए। हम तो सब का भला मांगना, सबका भला करना, सबके भले के
लिए ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब से दुआएं करना और प्रार्थना करना ही हमारा काम है। बाकी राम
जी जाने और उनका काम जाने।
पूज्य गुरु जी ने कहा कि वर्तमान में जनसंख्या की बाढ़ आ रही है और जनसंख्या का विस्फोट सा हो रहा है।
इसलिए इस पर ध्यान देना चाहिए। पूज्य गुरु जी ने कहा कि जनसंख्या विस्फोट और जो परिवार टूट रहे है, उन
पर भी एक भजन भी बनाया है। उसमें बताया गया है कि परिवार में क्या क्या हो रहा है और फिर किस प्रकार
समाज में परिवार टूट रहे है।