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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर जाने उनसे जुड़ी खास बात

देश की आजादी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए भारत देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के खिलाफ जीवन भर संघर्ष और आंदोलन करते हुए लोगों को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाते हुए एक लाठी के दम पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर करने वाले राष्ट्रपिता और बापू के नाम से मशहूर महान देशभक्त महात्मा गांधी की 152वीं जयंती आज पूरे देश भर में मनाया जा रहा है

जीवन परिचय-

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था, इन के बचपन का नाम मोहनदास करमचंद गांधी था l महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था जो राजकोट में दीवान पद पर कार्यरत थे और माता का नाम पुतलीबाई था l महात्मा गांधी का प्रारंभिक शिक्षा बहुत ही संघर्ष पूर्ण था l पोरबंदर से उन्होंने मिडिल और राजकोट से हाई स्कूल किया l मैट्रिक के बाद की परीक्षा उन्होंने भावनगर के शामलदास कॉलेज से उत्तीर्ण की l

उनका परिवार उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहता था जिसके लिए 4 सितंबर 1888 को गांधी कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए l वहां से कानून की पढ़ाई की और बैरिस्टर बनकर भारत आने पर अंग्रेजों के तानाशाही रवैए को देखते हुए महात्मा गांधी काफी प्रभावित हुए जिसके बाद वह देश की आजादी की लड़ाई में बिना सोचे समझे कूद गए l आजादी की लड़ाई में कूदने के बाद महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा की राह पर चलते हुए एक लाठी के सहारे अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन का जंग छेड़ दिया l

अचानक अंग्रेजो के खिलाफ देश के अंदर जंग छुड़ा दे बौखलाए अंग्रेज महात्मा गांधी को कई बार अपने हिरासत में लिया लेकिन महात्मा गांधी का मनोबल फिर भी नहीं टूटा और वह लगातार अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए पूरे ब्रिटिश हुकूमत को हिला कर रख दिया l

अपने जन्मदिन के दिन बापू करते थे यह काम-

गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष, रामचंद्र राही के अनुसार 2 अक्टूबर का दिन महात्मा गांधी के लिए गंभीर दिन होता था, इस दिन वह ईश्वर से प्रार्थना करते थे, चरखा चलाते थे और ज्यादातर समय मौन रहते थे l

महात्मा गांधी की प्रमुख पत्रिकाएं-

गाँधी जी एक सफल लेखक थे l कई दशकों तक वे अनेक पत्रों का संपादन किए जिसमे हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया आदि सम्मिलित हैं l जब वे भारत में वापस आए तब उन्होंने ‘नवजीवन’ नामक मासिक पत्रिका निकाली l बाद में नवजीवन का प्रकाशन हिन्दी में भी हुआ l

महात्मा गांधी की प्रमुख प्रकाशित पुस्तकों के नाम-

महात्मा गाँधी द्वारा मौलिक रूप से लिखित चार पुस्तकें हैं हिंद स्वराज, दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास सत्य के प्रयोग (आत्मकथा) तथा गीता पदार्थ कोश सहित संपूर्ण गीता की टीका l गाँधी जी आमतौर पर गुजराती में लिखते थे, परन्तु अपनी किताबों का हिन्दी और अंग्रेजी में भी अनुवाद करते या करवाते थे l

इन लोगों ने गांधी को दिया था महात्मा की उपाधि-

गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था l एक अन्य मत के अनुसार स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 मे महात्मा की उपाधि दी थी, तीसरा मत ये है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी l

गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि सुभाष चंद्र बोस ने दिया-

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता नाम से संबोधित किया था इस दौरान सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता से अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए अपने आज़ाद हिन्द फौज के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं l

थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य थे गांधी-

सोसाइटी की स्थापना 1857 में विश्व बन्धुत्व को प्रबल करने के लिये की गयी थी और इसे बौद्ध धर्म एवं सनातन धर्म के साहित्य के अध्ययन के लिये समर्पित किया गया था l इस सोसाइटी से जुड़े लोगों ने गांधी को श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ने के लिये प्रेरित किया l

दक्षिण अफ्रीका में वकालत करने का प्रस्ताव दादा अब्दुल्ला ने दिया-

दादा अब्दुल्ला ने गांधी को दक्षिण अफ्रीका में वकालत करने का प्रस्ताव दिया था l जिसके बाद वह 1893 में एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर साउथ अफ्रीका गए l अफ्रीका जाने के बाद वहां भारतीयों के साथ होने वाले भेदभाव को देखते हुए महात्मा गांधी को अंदर तक झकझोर दिया। इसके बाद गांधी ने अफ्रीकी और भारतीयों के प्रति नस्लीय भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए 1894 में दक्षिण अफ्रीका में अहिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू किया, इस आंदोलन में हजारों लोगों ने उनके साथ मिलकर सरकार का विरोध किया l

महात्मा गांधी द्वारा 1906 मे चलाया गया पहला आंदोलन-

ट्रासवाल एशियाटिक रजिस्ट्रेशन एक्ट के खिलाफ महात्मा गांधी ने साल 1906 मे पहली बार सत्याग्रह चलाया था l

दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन-

दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया l नमक पर ब्रिटिश हुकूमत के एकाधिकार के खिलाफ 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजो के खिलाफ नमक सत्याग्रह चलाया गया जिसमें वे अपने अनुयायियों के साथ अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च निकाल कर अंग्रेजों का विरोध किया l दांडी मार्च के बाद महात्मा गांधी ने अंग्रेजो के खिलाफ दूसरा आंदोलन साल 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में किया जिसके बाद दोनों आंदोलनों ने देशव्यापी रूप ले लिया l महात्मा गांधी के इस अहिंसात्मक प्रदर्शन को देख पूरा ब्रिटिश हुकूमत हैरान हो गया l

78 साल की उम्र में हुई हत्या-

30 जनवरी को गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने दिल्‍ली में गोली मारकर हत्या कर दी थी l जिससे पूरा विश्‍व शोक में डूब गया था l महात्मा गांधी के मौत के बाद 2 अक्टूबर साल 1948 में उनकी पहली जयंती के रूप में मनाया गया l इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है l