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केदारनाथ मंदिर और उसके रहस्य, आइए जानते है क्या है रहस्य

केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर 12 ज्योतिलिंग में सम्मिलित होने के साथ 4धाम और पंचकेदार में से भी एक है। इसका निर्माण पांडवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था कुछ ऐसे रहस्य है केदार नाथ के जिसको आप जानकर चकित हो जायेंगे वैसे तो केदार नाथ मंदिर पर बहुत सारी आपदा आई लेकिन केदारनाथ मंदिर का बाल भी बाका नही कर पाई 2013 में आई भीषण आपदा में भी केदारनाथ के पीछे चमत्कारिक रूप से भीमशिला आ गयी जिससे मंदिर की सुरक्षा हुई। केदारनाथ का रहस्य इसके निर्माण से लेकर बाद में हुए कई चमत्कारों को समेटे हुए हैं। आज हम आपको एक-एक करके केदारनाथ के सभी रहस्य बताएँगे।

केदारनाथ का रहस्य:

1. केदारनाथ मंदिर का निर्माण : केदारनाथ में मंदिर का निर्माण कटवां के भूरे रंग के विशाल पत्थरों, चट्टानों व शिलाखंडों से किया गया हैं। इनको जोड़ने के लिए आपस में इंटरलॉकिंग भी की गयी हैं। केदारनाथ मंदिर समुंद्र तल से 22,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।अब रहस्य की बात यह हैं कि इतनी ज्यादा ऊंचाई पर इन पत्थरों व शिलाखंडों को कैसे पहुँचाया गया था।

2. केदारनाथ के पास स्थित श्री भैरवनाथ मंदिर :
केदारनाथ मंदिर से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध भैरवनाथ जी का मंदिर स्थित हैं। इसे इस क्षेत्र का क्षेत्रपाल भी कहा जाता हैं जो इस मंदिर की सुरक्षा करते हैं। सर्दियों के माह में दीपावली के अगले दिन से केदारनाथ मंदिर के कपाट भीषण बर्फबारी के कारण बंद कर दिए जाते हैं और उसके छह माह के बाद मई माह में अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं। मान्यता हैं कि इन छह माह में मंदिर की सुरक्षा का भार श्री भैरवनाथ जी ही सँभालते हैं।

3.400 वर्षों तक हिम में दबा रहा केदारनाथ: 
पांडवों के बाद इस मंदिर का पुनः निर्माण आदि शंकराचार्य के द्वारा किया गया था। 10वीं से 13वीं शताब्दी के बीच कई भारतीय राजाओं के द्वारा मंदिर का पुनः निर्माण करवाया गया था जिससे इसका जीर्णोद्धार हुआ था। वाडिया इंस्टिट्यूट हिमालय के द्वारा किये गए शोध में यह बात सामने आई थी कि 13वीं शताब्दी से लेकर 17वीं शताब्दी तक यह क्षेत्र पूरी तरह से हिम/ बर्फ से ढक गया था। तब लगभग 400 वर्षों तक केदारनाथ मंदिर पूरी तरह से हिम से ढका रहा था। इस कारण भी मंदिर को कोई क्षति नही हुई थी। प्रमाण आज भी मंदिर की दीवारों पर देखने को मिल जाते हैं। हालाँकि 17वीं शताब्दी के बाद जब हिम का अनुपात कम हुआ तो मंदिर पुनः दृष्टि में आया। इसके बाद से केदारनाथ की यात्रा पुनः सुचारू रूप से शुरू हो गयी थी।

4. केदारनाथ मंदिर की भीमशिला :
वर्ष 2013 में उत्तराखंड व केदारनाथ में आई भयंकर त्रासदी के बारे में कौन नही जानता होगा। उस समय आसमान से इतनी भयंकर मेघगर्जना व वर्षा हुई थी जितनी संभवतया आजतक ना हुई हो। उस आपदा में लगभग दस हज़ार से भी ज्यादा श्रद्धालु मारे गए थे। सभी नदियाँ उफान पर थी व हर जगह भीषण बाढ़ आ गयी थी।

5. केदारनाथ में जलती अखंड ज्योत:
सर्दियों के माह में जब केदारनाथ मंदिर छह माह के लिए बंद हो जाता हैं तब यहाँ रहस्यमय तरीके से अखंड ज्योत लगातार छह माह तक प्रज्ज्वलित रहती हैं। दीपावली के बाद से यहाँ पर भीषण बर्फबारी का दौर शुरू हो जाता हैं।अखंड ज्योत जलती हुई मिलती हैं। साथ ही ऐसा प्रतीत होता हैं कि कल ही यहाँ किसी ने पूजा की थी। छह माह तक मंदिर बंद रहने के पश्चात भी ऐसा प्रतीत होता हैं कि मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई की गयी हैं। यह केदारनाथ मंदिर के रहस्यों में से सबसे बड़ा रहस्य हैं।