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कोरोना की वजह से ISRO के बजट पर चली कैंची, वित्त मंत्रालय ने की बड़ी कटौती

कोरोना वायरस की कहर की चपेट में अब ISRO भी आ गया है। एक तो लॉकडाउन की वजह से इसरो के सभी सेंटर्स पर काम कम हो गया है। ऊपर से कोरोना ने इसरो के बजट पर भी हमला कर दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के बजट में बड़ी कटौती की गई है।

जानकारी के अनुसार वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग के बजट डिविजन ने एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी कर अंतरिक्ष विभाग को कहा है कि आपके वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में 15 फीसदी की कटौती की जा रही है। आपको दिए गए निर्देशानुसार ही अपना खर्च चलाना होगा।

इस वित्त वर्ष में इसरो के करीब 10 मिशन प्रस्तावित थे। ये सारे अब देरी से होंगे। इनमें प्रमुख थे- सूर्य के लिए जाने वाला मिशन आदित्य-एल 1, चंद्रयान-3 और गगनयान. इनके अलावा जीसैट-2, रिसोर्ससैट-3 और 3एस, ओशनसैट-3, स्पेडएक्स, आईआरएनएसएस आदि। इसरो ने मानव मिशन गगनयान की इस साल अंत में अनमैन्ड फ्लाइट तय की थी।

इस कटौती की वजह से इसरो की कार्यप्रणाली पर कितना असर पड़ेगा यह कह पाना तो मुश्किल है, लेकिन लॉकडाउन और पैसे की सीमित पहुंच की वजह से इसरो के कई प्रोजेक्ट्स में देरी हो सकती है। यानी कई मिशन इस साल देरी से होंगे या फिर उन्हें टाला जा सकता है अगले साल तक के लिए।

वहीं दूसरी तरफ दुनिया के अनेक हिस्सों में चल रहे लॉकडाउन की स्थिति ने कई देशों के अंतरिक्ष मिशन भी जमीन पर ला दिए हैं। भविष्य की कई परियोजनाएं ठिठक गई हैं। कई के काम रुक गए हैं या रोक दिए गए हैं। चिंता कम्युनिकेशन, नेविगेशन तथा मौसम की सूचनाएं देने से जुड़े सैटेलाइटों को लेकर भी है। क्योंकि इन्हीं सैटेलाइटों के कारण आज हम एक आधुनिक समाज की कल्पना करते हैं।

दुनिया भर में स्पेस इंडस्ट्री से जुड़े कई प्रतिष्ठानों, एजेंसियों ने अपने कार्मिकों को घर से काम करने को कहा है। दक्षिणी अमेरिका में स्थित एक यूरोपीय स्पेसपोर्ट ने आगामी सभी लांच स्थगित कर दिए हैं। नासा ने अपने एक बड़े स्पेस टेलीस्कोप की टेस्टिंग रोक दी है, जिसे अगले साल लांच किए जाने की योजना बनी थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसी तरह रूसी और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों की एक संयुक्त परियोजना में देरी होगी, जिसके तहत मंगल पर जीवन की खोज के लिए एक रोवर भेजा है। इस तरह से कोविड-19 ने न सिर्फ इन परियोजनाओं को पलीता लगाया है बल्कि मानव जगत को इस ग्रह तक सीमित कर दिया है।

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इसरो के पास हर मिशन का अलग बजट होता है। आमतौर पर इसरो के पास इतने पैसे होते हैं कि इमरजेंसी में किसी मिशन को रोकना न पड़े। पहली तिमाही की बजट में की गई 15 फीसदी की कटौती से मिशन पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि हर मिशन का अलग बजट है। जो बजट पहले से रिलीज किया जा चुका है, उसमें कोई कटौती नहीं होती। ये कटौती उन खर्चों की है, जो पैसे अभी लॉकडाउन में खर्च नहीं होंगे।