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स्वतंत्रता दिवस विशेष: 75 साल में 5 युद्ध लड़कर आर्मी पावर बना भारत, 4 बार पाकिस्तान को रौंदा

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देश 15 अगस्त 1947 को सैकड़ों साल की गुलामी से आजाद तो हो गया, लेकिन इसकी मुश्किलें कम नहीं हुईं। एक स्वतंत्र देश के रूप में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए भारत को 75 साल में पांच युद्ध लड़ने पड़े। लेकिन इसने हर विपत्ति का डट कर सामना किया और देखते ही देखते चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति बन गया। जिन अंग्रेजों ने हमें गुलाम बनाया, आज भारत की सैन्य ताकत उनसे बहुत अधिक है।

ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स- 2021 में भारत की सेना को दुनिया की चौथी सबसे मजबूत सेना माना गया है। दुनिया की 10 सबसे ताकतवर सेनाओं में अमेरिका पहले नंबर पर है, जबकि रूस व चीन की सेना को दूसरे व तीसरे नंबर की ताकतवर सेना माना गया है।

ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स में देशों को उनकी संभावित सैन्य ताकत के आधार पर रैंक किया जाता है। इस साल 138 देशों की रैंकिंग को 50 मानकों के आधार पर निर्धारित किया गया। इसमें सैन्य संसाधन, प्राकृतिक संसाधन, उद्योग, भौगोलिक विशेषताएं और उपलब्ध मानव शक्ति शामिल हैं।

गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों से ताकत में चार कदम आगे
भारत को करीब दो सौ साल तक गुलाम बनाने वाले अंग्रेज आज सैन्य ताकत के मामले में भारत से बहुत पीछे हैं। सबसे ताकतवर देशों की सूची में ब्रिटेन का आठवां स्थान है जिससे भारत चार कदम आगे यानी चौथे स्थान पर काबिज है। सैन्य बजट के मामले में वि”व रैंकिंग में अमेरिका, चीन के बाद भारत तीसरे नंबर पर है जबकि ब्रिटेन पांचवें नंबर पर है।

126 साल पहले बनी थी भारतीय सेना
भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं से हुआ था जो बाद में ‘ब्रिटिश भारतीय सेना’ और आखिरकार स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना बन गई। भारतीय सेना की स्थापना लगभग 126 साल पहले अंग्रेजों ने 1 अप्रैल, 1895 को की थी।

1947 का भारत-पाक युद्ध : स्वतंत्रता के चंद महीनों के बाद ही कश्मीर को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच प्रथम युद्ध 1947 में शुरू हुआ। पाकिस्तानी सेना का समर्थन पाकर कबिलाई आदिवासियों ने कश्मीर पर 20 अक्तूबर को हमला कर दिया। 24 अक्तूबर तक हमलावर श्रीनगर के पास तक पहुंच गए। संकट बढ़ता देख जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार से मदद मांगी। इसके बाद भारत की सेना 26 अक्तूबर को जंग में कूदी। भारतीय सेना ने कश्मीर के दो-तिहाई हिस्से पर अपना नियंत्रण कर लिया। युद्ध विराम 1 अक्तूबर, 1949 को हुआ।

1962 का भारत-चीन युद्ध : आजाद भारत का दूसरा युद्ध चीन के साथ लड़ा गया। चीनी सेना ने 20 अक्तूबर, 1962 को लद्दाख और अन्य इलाकों में हमले शुरू कर दिए। युद्ध के दौरान भारतीय जवान दशकों पुरानी थ्री नॉट थ्री बंदूक के सहारे लड़ रहे थे, तो चीनी सैनिकों के पास मशीनगन थी। इसके बावजूद रेजांग ला दर्रे में मेजर शैतान सिंह की अगुआई में 113 भारतीय जवान 1000 चीनी सैनिकों पर भारी पड़े। इस दौरान चीन के मुकाबले भारतीय वायुसेना बेहतर थी, लेकिन उसे हमला करने का आदेश नहीं दिया गया। वायुसेना से मदद मिली होती तो नतीजा भारत के पक्ष में हो सकता था। हस युद्ध का अंत 20 नवंबर, 1961 को चीन की ओर से युद्ध विराम के ऐलान के साथ हुआ।

1965 में पाक को दोबारा हराया: यह भारत के साथ पाकिस्तान का दूसरा युद्ध था जिसे दूसरे कश्मीर युद्ध के नाम भी जाना जाता है, यह 22 दिनों तक चला। युद्ध की शुरुआत पाक के ऑपरेशन जिब्राल्टर के कारण हुई जिसके तहत उसने कश्मीर में सेना की घुसपैठ कराने की योजना बनाई थी। पाकिस्तानी सेना के करीब 30 हजार जवान स्थानीय लोगों की वेशभूषा में कश्मीर में घुसपैठ कर गए। इसकी भनक भारतीय सेना को लगी तो युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में पाक ने ताकतवर पैटन टैंक इस्तेमाल किया था, लेकिन उसे हार का समाना करना पड़ा। युद्ध में बड़े स्तर पर भारत ने अपनी नौसेना का भी इस्तेमाल किया। युद्ध का अंत संयुक्त राष्ट्र के युद्ध विराम की घोषणा के साथ हुआ। 10 जनवरी, 1966 में ताशकंद में दोनों पक्षों में समझौता हुआ।

1971 में पाक को तीसरी बार हराया: वर्ष 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ लड़े गए इस तीसरे युद्ध में भारत ने भारी जीत हासिल की। इस हार से पाकिस्तान दो हिस्सों में बंट गया। युद्ध में भारत की तीनों सेनाओं के समन्वय ने शानदार जीत दिलाई। पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में 96 हजार पाक सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच 2 जुलाई, 1972 को शिमला में समझौता हुआ। इसके बाद सभी युद्ध बंदियों को सकुशल पाकिस्तान भेज दिया गया।

1999 का कारगिल युद्ध: वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध 3 मई से 26 जुलाई तक चला। श्रीनगर से 215 किलोमीटर दूर कारगिल की पर्वतीय चोटियों पर पाकिस्तान ने गुपचुप तरीके से कब्जा कर लिया। हालांकि पाकिस्तान सरकार ने दावा किया था कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं। इसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान सैनिकों और आतंकियों को खदेड़ दिया। इस युद्ध में भारत के 597 सैनिक शहीद हो गए। इस युद्ध में तोप ने निर्णायक भूमिका निभाई, लेकिन एक समय तोप के गोलों की कमी महसूस की गई। इजरायल ने युद्ध में तकनीकी तौर पर भारत की बड़ी मदद की।

पांच युद्ध के पांच सबक:
1-युद्ध के दौरान तीनों सेनाओं के बीच तालमेल जरूरी है।
2-सीमा की सुरक्षा के लिए स्वदेशी तोप, टैंक और अन्य आधुनिक हथियार रखना जरूरी है।
3-विदेश नीति आदर्शवाद की बजाय यथार्थवाद पर आधारित होनी चाहिए।
4- खुफिया एजेंसियों को मजबूत करने की जरूरत है।
5-सीमावर्ती पर्वतीय और दुर्गम इलाकों में सड़क समेत अन्य जरूरी निर्माण ताकि सेना की गति बढ़ाई जा सके।

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