Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

स्वदेश की होली…. सात समंदर पार की होली! news in hindi

[ad_1]

उमेश साहू. अत्यंत मधुर और प्रेम सौहार्द की भावनाओं का प्रतीक है होली। रंगों की सतरंगी दुनिया के बीच मानवता की अनूठी झलक दिखाई देती है इस दिन। भारत की इस सम्मोहक परंपरा को अन्य देशों ने भी अपने-अपने ढंग से सहेजने की कोशिश की है। इसके नाम भी अलग-अलग देशों में अलग-अलग हो गए हैं परंतु उल्लास की मूल भावना एक समान है।

अमेरिका के आदिवासी इलाकों में होली जैसे त्योहार को प्रसन्नता का त्योहार माना जाता है। इसकी तिथि निश्चित नहीं होती। गांव का मुखिया ही कोई तारीख तय कर देता है। बसंतागमन से ही आदिवासी नियमित रूप से नाच-गाने का आयोजन कर सूर्य देवता को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

अफ्रीका महाद्वीप के कुछ देशों में ’आमेना बोंगा‘ नाम से जो उत्सव मनाया जाता है। उसमें हमारे देश की होली के समान ही एक जंगली देवता का पुतला जलाया जाता है। इस देवता को ’प्रिन बांेंगा‘ कहते हैं। इसे जलाकर नाच-गाकर नई फसल के स्वागत में खुशियां मनाते हैं।

फ्रांस में हंसी-मजाक का एक रंगीला उत्सव ’डिबो डिबी‘ नाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग एक विशाल मैदान में एकत्रित होकर किन्हीं दो मोटे पुरूषों को चुनते हैं। इन्हें स्त्राी-पुरूष की भड़कीली डेªस पहनाकर ऊंचे मंच पर खड़ा किया जाता है। लोग बड़े प्यार से इन्हें प्रेमी-प्रेमिका कहकर पुकारते व चिढ़ाते हैं।

इनकी शादी का काल्पनिक नाटक रचा जाता है जिसमें भरपूर हंसी-मजाक होता है। शादी के प्रत्येक दर्शक इन पर अधखिली कलियां, ब्रेड, टमाटर व सड़े अंडे फंेकते हैं। उत्सव के अंत में लोग एक-दूजे पर रंग छिड़कने का सिलसिला शुरू करते है जो प्रातः काल तक चला करता है।

रूस में होली जैसा त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 31 मार्च को यह पर्व मनाया जाता है। हास्य के इस आयोजन में भारत की तरह वहां भी महामूर्ख सम्मेलन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

मिश्र में भी कुछ होली की ही तरह नई फसल के स्वागत में आनंद मनाते हैं। इस आनंद से ओत-प्रोत त्योहार का नाम ’फालिका‘ है। इस अवसर पर पारस्परिक हंसी-मजाक के अलावा एक अत्यंत आकर्षक नृत्य एवं नाटक भी प्रस्तुत की जाती है।

बर्मा में होली भगवान बुद्ध के स्वागत में मनायी जाती है। वहां इसे ’तिजान‘ कहा जाता है। यहां पर पानी के बड़े-बड़े ड्रम भर लिए जाते हैं और उनमें लोग रंग तथा सुगंध घोलकर एक-दूसरे पर डालते हैं।

चीन में होली की तरह का उत्सव लगातार 15 दिन तक चलता है। इस त्योहार को वहां ’च्वेंजे‘ नाम से जाना जाता है। यह त्योहार चीन का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस त्योहार को मनाने की परंपरा संैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।

ग्रीस के लोग इस तरह के पर्व के मदनोत्सव के ढंग से मनाते हैं। इस मदनोत्सव के दिन प्रत्येक गांव एवं नगर में बहुत भीड़ और चहल-पहल रहती है। महिलाएं बागों में जाकर झूला झूलती हैं। इसी दिन प्रेम की देवी फैमिना का जन्मदिन भी बनाया जाता है।

यूनान में होली जैसे पर्व को ’मे पोल‘ नाम से मनाया जाता है। यहां पर लकड़ियां एकत्रा की जाती हैं और उन्हें जलाया जाता है। इसके बाद लोग झूम-झूमकर नाचते गाते हैं। इस अवसर पर उनकी मस्ती देखते ही बनती है। यहां पर यह उत्सव यूनानी देवता ’टायनोसियस‘ की पूजा के अवसर पर आयोजित होता है।

श्रीलंका में तो होली का त्योहार बिल्कुल अपने देश की ही तरह मनाया जाता है। वहां अपनी होली की ही भांति रंग-गुलाल और पिचकारियां सजती हैं। हवा में अबीर उड़ता है। लोग सब गम और गिले-शिकवे भूलकर परस्पर गले मिलते हैं। आपसी मित्राता एवं हंसी-खुशी का यह त्योहार श्रीलंका में अपनी गरिमा बनाए हुए है।  

जीवन के अनेक रंगों में से चुनकर कामिनी खन्ना कुछ रंग पेश कर रही है, कविता रूप में, सुनिए….

https://www.youtube.com/watch?v=GXob8gRXN0w&t=2s

Source : palpalindia
ये भी पढ़ें :-

रंग संगम नाट्य समारोह की प्रस्तुति- रावण

बरसाना में मंगलवार को खेली जाएगी विश्वप्रसिद्ध लठामार होली

गुलाल गोटा से होली को रंगीन बनाते हैं जयपुर के कलाकार

[ad_2]
Source link