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डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा से पाकिस्तान कुछ-कुछ सहमा है?

 

लॉस एंजेल्स। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे को लेकर पाकिस्तान कुछ-कुछ सहमा हुआ है, वहीं भारत में ट्रम्प के आगमन को लेकर भारी उत्साह है। एक ओर जहां इमरान घरेलू दबाव के कारण कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अन्तरराष्ट्रीय मंच पर मुद्दा नहीं बना पा रहा है, तो दूसरी ओर वह आतंकवादी वित्त पोषण में पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की आंखों में किरकिरी बना हुआ है।

सोमवार को एफएटीएफ की 39 सदस्यीय बैठक में पाकिस्तान को चीन, मलेशिया और टर्की सहित कम से कम बारह सदस्य देशों की मदद चाहिए, अन्यथा पाकिस्तान का अगले दो तीन वर्षों के लिए ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना संभव नहीं है। इस दिशा में पाकिस्तान ने जमात उद-दावा के मुखिया हाफ़िज़ सईद को जेल भेजा है, लेकिन जैश ए मुहम्मद के मुखिया मसूद अज़हर मार्च, 2019 से ग़ायब क्यों है? पाकिस्तान को जून 2019 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था।

जानकारों का मत है कि यह एक संयोग नहीं है, जब भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा के समय अमेरिकी राष्ट्रपति पड़ोसी देश पाकिस्तान नहीं जा रहे हैं, वह भी उस स्थिति में जबकि अफ़ग़ानिस्तान में शांति बहाली के लिए वह अत्यधिक व्यग्र हैं। अफ़ग़ानिस्तान में क़रीब दो दशक तक ‘अफ़ग़ानिस्तान तालिबान’ से युद्ध में भारी जान-माल गँवाने के बाद ट्रम्प अपनी दूसरी पारी शुरू करने से पहले पिछले चुनाव में किए वादे पर खरे उतर पाते हैं, तो यह उनकी एक महान उपलब्धि होगी। गौरतलब है की ट्रम्प 24 और 25 फ़रवरी को भारत की यात्रा पर रहेंगे।

अफ़ग़ान तालिबान के साथ ‘हिंसा में कटौती’ के अमेरिकी शांति प्रयासों की समयावधि सोमवार से शुरू हो रही है। अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने रविवार को म्यूनिख में कहा कि इन शांति प्रयासों में जोखिम तो है, लेकिन ये प्रयास सिरे चढ़ते हैं, तो अगले दस दिनों में इन प्रयासों को अमली जामा पहनाया जा सकेगा। अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा सेना में 12000 से 8600 तक किए जाने पेशकश की है।

नाटो चीफ़ ज़ेंस स्टोन बर्ग ने भी कहा है कि एकाएक नाटो सेनाओं की घर वापसी संभव नहीं होगी। हालाँकि अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ गनी ने इन शांति प्रयासों को ले कर शंकाएँ ज़ाहिर की हैं। इन प्रयासों में पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान की स्थिति क्या रही होगी, सहज अनुमान लगाया जा सकता है। बेशक, अमेरिका की दक्षिण एशिया मामलों की प्रभारी, सहायक सचिव एलिस वेल्स ने आतंकी वित्त पोषण में लश्कर ए-तैयबा के संस्थापक और जमात उद-दावा के मुखिया हाफ़िज़ सईद की गिरफ़्तारी के फ़ैसले का स्वागत किया है।