सिरसा 18 मई ((सतीश बंसल ) – पिछले दो दशकों से सिरसा जिला में बी.टी. नरमा की खेती हो रही है जिसके कारण भूमि में से पोषक तत्वों का अत्यधिक दोहन हुआ है। जैविक खादों के कम प्रयोग से भूमि की उपजाऊ शक्ति में निरन्तर कमी आ रही है। ऐसे में फसल-चक्र में ग्वार व अन्य दलहनी फसलों जैसे ढेंचा, लोबिया, मूंग आदि का समावेश करना बहुत जरूरी है ताकि उत्पादन में कमी न आए। दलहनी फसलों की जड़ों में गांठें होती हैं जिनमें राइजोबियम नामक बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया वायुमण्डल से नाइट्रोजन लेकर फसल को उपलब्ध करवाते हैं। उक्त विचार चौ० चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से सेवानिवृत्त कीट विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ० आर.के. सैनी ने बड़ागुढ़ा खण्ड के गांव बीरूवाला गुढ़ा में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा हिन्दुस्तान गम एण्ड केमिकल्स भिवानी द्वारा आयोजित ‘ग्वार उत्पादन जागरूकता शिविर’ में किसानों को सम्बोधित करते हुए कहे। इस दौरान डॉ० सैनी ने किसानों को ग्वार की अच्छी फसल लेने हेतु आवश्यक सुझाव दिए।
शिविर में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग से पधारे बीटीएम डॉ० संदीप कुमार ने किसानों को कपास की गुलाबी सुंडी की रोकथाम के तरीकों के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने खेतों में पिछले साल से पड़ी कपास की छट्टियों के ढेरों से गिरे कचरे को हटाने का सुझाव दिया ताकि आगे गुलाबी का प्रकोप कम हो। शिविर में गांव के सरपंच प्रतिनिधि सरदार गुरजंट सिंह के अलावा तेज सिंह, दर्शन सिंह, सुखमन्दर सिंह, जगसीर सिंह, सुखवीर सिंह, भोला सिंह, छिन्दा सिंह, जसकरण सिंह, गुरलाल सिंह, जसवीर सिंह, गुरसेवक सिंह, अमरीक सिंह, बलदेव सिंह सहित 50 से अधिक किसानों ने भाग लिया।