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मोटापे से पाना चहतें हैं छुटकारा, ये एक योगासन करेगा मोटापे को दूर

हलासन करते समय शरीर का आकार, किसानों द्वारा जमीन जोतने के लिए उपयोग में लाये जानेवाले उपकरण ‘हल’ के समान होने के कारण इस आसन को हलासन यह नाम दिया गया हैं। अंग्रेजी में इस आसन को ‘प्लो पोज’ कहा जाता हैं। वजन कम करने और मेरुदंड को मजबूत, लचीला बनाने के लिए एक उत्तम आसन हैं।

हलासन की विधि

एक स्वच्छ और समतल जगह पर दरी या चटाई बिछा दे। सर्वांगासन की शुरुआत की तरह जमीन पर पीठ के बल लेट जाए। दोनों पैरों को एक दुसरे से मिलाकर रखना हैं। हथेलियों को कमर के पास जमीन से सटाकर रखे।

मुंह आकाश की ओर रखे और आँखों को बंद कर दे। शरीर को ढीला रखे। अब श्वास अंदर ले और पेट को सिकुड़कर पैरों को उठाना चालू करे।

दोनों पैरों का शरीर से समकोण (90 डिग्री एंगल ) बनने पर श्वास छोड़े। सर्वांगासन की स्थिति में आने के बाद दोनों पैरो को सिर के पीछे जमीन पर टिकाने का प्रयास करे।कमर और पीठ को पीछे झुकाने के लिए हाथों का सहारा ले। हाथ कुंहनियो (एल्बो) से सीधे रखते हुए पीठ के पीछे जमीन से लगाकर रखे।

अपने क्षमतानुसार इस स्थिति में रुकने के बाद, धीरे-धीरे पीठ और पैर को जमीन से लगाना शुरू करे। संपूर्ण आसन में घुटनों को मोड़ना नहीं हैं।

हलासन के फायदे

  1. पाचन प्रणाली और प्रजनन प्रणाली को मजबूर बनाता हैं।
  2. पेट पर जमी अतिरिक्त चर्बी को कम करता हैं। वजन कम करने में सहायक हैं।
  3. मधुमेह के मरीजो के लिए लाभदायक हैं।
  4. गर्दन, कंधे, पेट, पीठ और कमर के स्नायु मजबूत बनते हैं।
  5. मेरुदंड मजबूत और लचीला बनता हैं।
  6. रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज), अनिद्रा , बाँझपन (इनफरटाइल ), सिरदर्द (साइनसीटीस) और थायरॉयड के विकार में यह आसन करने से लाभ मिलता हैं।

हलासन में सावधानी

  1. उच्च रक्तचाप – हाई बी प
  2. चक्कर आना – वर्टिगो
  3. कमर दर्द – लंबर स्पोंडीलईटिस
  4. गर्दन में दर्द – सर्विकल स्पोंडीलईटिस
  5. हड्डी में क्षय रोग – बोन टी बी
  6. हृदयरोग – हार्ट डिजीज
  7. गर्भावस्था – प्रेगनेंसी