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नहाय खाय संग गुरुवार से चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत, जानिए एक-एक दिन का महत्व

 

 

 

बेगूसराय। बिहार, झारखंड पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में बृहस्पतिवार से नहाय खाय के साथ ही सूर्योपासना के चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरूआत हो जाएगाी। छठ को लेकर एक ओर बाजार सज चुके हैं। चारों ओर हिंदी, भोजपुरी और मैथिली छठ गीतों की धूम मची हुई है। महंगाई के बावजूद बाजारों में भीड़ उमड़ रही है। छठ को लेकर फलों के दाम जहां आसमान छू रहे हैं। वहीं, बांस का सूप दो सौ रुपया जोड़ा मिल रहा है। बावजूद इसके लोग बाजारों में खरीदारी के लिए उमड़ रहे हैं। पर्व के लिए गंगाजल ले जाने तथा व्रती स्नान करने के लिए तमाम गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लग रही है।

31 अक्टूबर को नहाय-खाय

छठ पर्व के पहले दिन नहाय खाय की विधि होती है। नहाय खाय के दिन घर की साफ-सफाई करने के पश्चात स्नान किया जाता है। इस दिन चने की दाल, लौकी की सब्जी, अरवा चावल, घी और सेंधा नमक अहम होता है। इन सब चीजों से बने हुए प्रसाद व्रती ग्रहण करते हैं। व्रती के भोजन करने के बाद ही घर के अन्य सदस्य भोजन करते हैं और इस तरह छठ महापर्व की शुरुआत होती है।

01 नवंबर को खरना

महापर्व के दूसरे दिन खरना की विधि होती है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को गन्ने का जूस या गुड़ की खीर का प्रसाद बनता है और यही प्रसाद व्रती ग्रहण भी करते हैं। इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।

02 नवंबर को डूबते सूर्य अर्घ्य

छठ के तीसरे दिन व्रती नदी या तालाब में उतरकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है।

03 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य

छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्य निकलने से पहले ही लोग नदी या तालाब के घाट पर पहुंच जाते हैं और पानी में उतरकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं और प्रसाद खाकर व्रत खोलते हैं। इस तरह महापर्व का समापन हो जाता है।

तालाबों को सजाकर बनाए गए घाट

महंगाई के बावजूद लोक आस्था के महापर्व की तैयारी में जी जान से जुट गए हैं। गांव-गांव में तालाबों को सजाकर छठ घाट बनाए जा रहे हैं। जहां तालाब पूरी तरह से अतिक्रमित और बदहाल है, वहां लोग अपने घर पर ही छोटा तालाब बनाकर अर्घ्य देने की तैयारी कर रहे हैं। इधर जिला के दर्जनों तालाबों की स्थिति छठ के समय में भी काफी बदतर है।
पदाधिकारियों के निर्देश के बावजूद तालाबों की साफ-सफाई नहीं के बराबर हो रही है। दूसरी हो जेल में भी छठ पूजा मनाए जाने की पूरी तैयारी की गई है।

जेल अधीक्षक बृजेश सिंह मेहता ने बताया कि छठ व्रतियों के लिए कपड़ा एवं तमाम पूजन सामग्रियों की विशेष व्यवस्था की गई है। जो बंदी छठ व्रत कर रहे हैं, उनके भोजन एवं प्रसाद बनाने के लिए चूल्हा की भी अलग व्यवस्था की गई है, ताकि में निष्ठा के साथ छठ मना सकें। इधर जिला प्रशासन द्वारा छठ पर सुरक्षित और शांतिपूर्ण मनाया जाने को लेकर दंडाधिकारी के नेतृत्व में आवश्यक पुलिस बल तैनात किए गए हैं।

छठ पूजा समितियों को तालाब एवं नदी किनारे बैरिकेडिंग एवं प्रकाश की व्यवस्था करने का आदेश दिया गया है। रेल लाइन के किनारे पड़ने वाले घाटों पर भीड़भाड़ को देखते हुए शनिवार की दोपहर से रविवार को सुबह तक ट्रेन धीमी गति से चलाने के लिए लिखा गया है, ताकि किसी प्रकार की अनहोनी ना हो। दूसरी ओर गंगा घाटों की सफाई नहीं होने के बाद मंगलवार से युवाओंं की टोली साफ सफाई का जिम्मा उठाते हुए सफाई कर रहे हैं।