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देशद्रोह मामले में तानाशाह और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को सजा-ए-मौत

इस्लामाबाद। पेशावर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ के नेतृत्व में विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को देशद्रोह के मामले में परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई है। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी पूर्व राष्ट्रपति को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है।यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट से मिली।

यह मामला साल 2013 से लंबित था। फिलहाल मुशर्रफ स्वास्थ्य कारणों से दुबई में हैं। उन्होंने साल 2003 में तीन नवम्बर को देश में आपातकाल लागू किया था और संविधान को निलंबित कर दिया था। इसके बाद साल 2013 में उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया और साल 2014 में उनके खिलाफ आरोप तय किया गया। अभियोजन पक्ष ने उसी साल विशेष अदालत में मामले से संबंधित सारे सबूत पेश कर दिए थे।

अपीलीय अदालत में मामलों की अधिकता की वजह से यह मामला तब से लटका हुआ था। इस बीच मार्च, 2016 में मुशर्रफ इलाज के बहाने देश छोड़कर दुबई चले गए और तब से स्वदेश नहीं लौटे हैं।

जस्टिस वकार अहमद सेठ, सिंध हाईकोर्ट जज नजर अकबर और लाहौर हाईकोर्ट के जज शाहिद करीम ने मुशर्रफ के खिलाफ मौत की सजा सुनाई। जिसे पिछले 19 नवम्बर को सुरक्षित रख लिया था। उस समय अदालत ने रिकार्ड के आधार पर कहा था कि यह फैसला 28 नवम्बर को सुनाया जाएगा। हालांकि 27 नवम्बर को इमरान सरकार के आवेदन पर विचार करते हुए इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने विशेष अदालत को सजा सुनाने से रोक दिया था और सरकार को पांच दिसम्बर तक अभियोजन टीम गठित करने का आदेश दिया था।

विदित हो कि पिछले पांच दिसम्बर को सरकार की नई अभियोजन टीम विशेष अदालत के समक्ष उपस्थित हुई। इसके बाद अदालत ने 17 दिसम्बर तक मामले की कार्यवाही स्थगित कर दी और कहा कि उसी दिन इस मामले में फैसला भी सुनाया जाएगा।