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पूर्व सीएम ने कहा कि सरकार विपक्षियों को परेशान करने का कर रहे काम

सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव डेढ़-दो महीने पहले तक अखिलेश पर यह तोहमत लगता रहा कि वह आजमगढ़ में संसदीय सीट छोड़ने के बाद हुए उपचुनाव में झांकने तक नहीं गए। लेकिन यह तो हुआ एक पहलू। अखिलेश जेल में बंद रमाकांत यादव से मिलने गए। अब इस पॉइंट पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई। सवाल उठने लगा कि जो अखिलेश आजमगढ़ में जाकर रमाकांत से मिल सकते हैं, उनके पास कद्दावर समाजवादी नेता आजम खान के लिए समय क्यों नहीं रहा। आजमगढ़ में लाव-लश्कर के साथ पहुंचे अखिलेश यादव ने इटौरा जेल में जाकर बाहुबली विधायक रमाकांत से करीब आधे घंटे तक मुलाकात की। बाहर निकलकर अखिलेश ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा। पूर्व सीएम ने कहा कि सरकार विपक्षियों को परेशान करने का काम कर रही है। फर्जी मुकदमों में नेताओं को जेल भेजा जा रहा है। रामपुर हो या आजमगढ़, दोनों जगह पर विपक्षी दलों के नेताओं को फर्जी मुकदमों में जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया। एक तो छूट कर वापस आ गए और दूसरे भी जल्द आ जाएंगे। यहां अखिलेश ने इशारों-इशारों में आजम खान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक तो छूट कर आ गए, अब दूसरे भी जल्द ही जाएंगे। 2024 के चुनाव में आजमगढ़ की जनता एक बार फिर सूद के साथ समाजवादियों को वोट करेगी। अखिलेश यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार अभी से 2024 की तैयारी में जुट गई है। यह सरकार किसी पर भी फर्जी मुकदमा दर्ज करा सकती है।


वार-पलटवार की सियासी खानापूर्ति के बीच अखिलेश को लेकर बातें होने लगीं। रमाकांत यादव से मुलाकात के बीच यह कहा जाने लगा कि अखिलेश ‘यादववाद’ कर रहे हैं। वह पिछले दो साल के दौरान जेल में बंद आजम खान से मिलने तक नहीं गए। आरोप लगा कि वह आजम को नजर अंदाज करते रहे और मुस्लिमों को केवल वोटबैंक के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इन तमाम सवालों के बीच यह सवाल मौजूं हो उठता है कि क्या जाति ही देखकर अखिलेश ने यह फैसला किया या फिर उनके ऊपर कोई दबाव है। आजम के जेल में रहते हुए उनसे नहीं मिलने जाने के फैसले से अखिलेश को नुकसान भी झेलना पड़ा। मुस्लिम वोट बैंक भी झटकता दिखा और साथ ही कई मुस्लिम नेताओं ने सपा का साथ भी छोड़ दिया। उनकी छवि पर असर पड़ा। आजम खान के मामले में की गई गलती को अखिलेश दोहराना नहीं चाहते हैं। 2024 में लोकसभा चुनाव में बमुश्किल डेढ़ साल का समय बचा है। आजमगढ़, अंबेडकरनगर, मऊ, जौनपुर, गाजीपुर जैसे जिले समाजवादी पार्टी का स्ट्रॉंगहोल्ड माने जाते हैं। अखिलेश इस बेल्ट में कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहते होंगे।